Uttarakhand / Lansdowne लैंसडोन विधायक महंत दिलीप सिंह रावत ने दिया मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को चैलेंज
- सामाजिक कार्यकर्ता देवेश आदमी के बहाने विधायक दिलीप सिंह रावत ने नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को नकारा।
- क्या त्रिवेन्द्र सिंह रावत की बर्खास्तगी महंत को खल रही हैं।
- अधिकारियों व ठेकेदारों के सांठ-गांठ से चल रहा लैंसडोन विधानसभा।
कांडी लक्ष्मण झूला रठुवाढाब सड़क डामरीकरण अनियमितता के मामले में लैंसडोन विधायल व प्रदेश के मुख्यमंत्री आमने सामने आए। जिस से यह समझने देर न लगी कि लैंसडोन विधायल त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जाने से नाखुश हैं। क्षेत्र में इस बात की भी सुगबुगाहट आने लगी कि महंत दिलीप सिंह रावत की कोंग्रेस से नजदीकियां बढ़ रही हैं। महंत ने समाज सेवी देवेश आदमी के बहाने मुख्यमंत्री को चैलेंज किया कि यह लैंसडोन में सब कुछ ठीक नही है जो इस तरफ इशारा कर रहा हैं कि महंत त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सब से करीबी थे। नए मंत्रिमंडल विस्तारण में महंत को कैबिनेट में शामिल होने का पूरा भरोसा था पर महंत के अरमान धरे के धरे रह गए हैं इसलिए सामाजिक कार्यकर्ताओं की बलि देकर महंत देहरादून के आगे शक्तिप्रदर्शन कर रहे हैं जिस का खामियाजा महंत को सोशल मीडिया में भुगतना पड़ रहा हैं। सोशल मीडिया में महंत को लताड़ने वालों की बाढ़ सी आ गई हैं। जिस कारण महंत के समर्थक तैखाने में छिप गए हैं। सामाजिक नुकसान से बचने के लिए महंत के समर्थकों द्वारा देवेश के खिलाप प्रोपोगैंडा अपनाया जा रहा हैं जिस को समझने में जनता को देर नही लगी।
महंत के बयानों ने साबित कर दिया कि ठेकेदारों से सांठ-गांठ के बल पर महंत भृष्टाचार का केन्द्र बन गए हैं। महंत के द्वारा लैंसडोन विधानसभा में बनाई जा रही सड़कों की गुणवत्ता प्रशनो के घेरे में हैं। यह पहला मामला नही जो महंत ने ठेकेदारों का समर्थन किया हैं मगर इस बार सामने बहुप्रतिभाधनी स्वतंत्र पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता देवेश आदमी थे जिस ने मंझे हुए ब्लॉगर की तरह मात्र 1 घण्टे में मुख्यमंत्री को फैसला लेने पर मजबूर कर दिया। गौरतलब हो देवेश आदमी पंचायती चुनाव के माध्यम से सक्रिय राजनीति में आने की एक कोशिश कर चुके हैं। वर्तमान परिस्थिति उस दौर की याद दिलाता हैं। शायद देवेश आदमी को यह मुद्दा भविष्य में भारी पड़ सकता हैं। महंत की साख पर यह काला अध्याय अवश्य 2022 में अंकुर लेगा जिस का खामियाजा महंत को भुगतना पड़ सकता हैं। हालांकि सत्ताधारियों, माफियाओं से सीधा लोहा लेना निकट भविष्य में सामाजिक कार्यकर्ता के लिए जान का जोखिम बन सकता हैं। फिर भी आज समूचा उत्तराखण्डी समाज प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से देवेश आदमी के साथ खड़ा हैं। अनेकों राजनीतिक सामाजिक संगठनों ने देवेश को सीधा समर्थन दिया हैं जिस से महंत खेमे में बौखलाहट मची हैं।
महंत के बयानों से मुख्यमंत्री के निर्णय का बहिष्कार साफ झलक रहा था। जिससे अनेकों दिन से महंत के कोंग्रेसी नजदीकियों ने परदा उठा दिया। यह लैंसडोन का दुर्भाग्य ही हैं कि अपने स्वार्थ के लिए जनप्रतिनिधि किसी भी हद्द तक गिर सकते हैं।
ललित पटवाल