Uttar Pradesh / Gorakhpur : घूस नही मिला तो बड़े बाबू ने दरोगाओं को बना दिया था एक वर्ष जूनियर
एसएसपी ने शुरू कराई जांच
जानकर ताज्जुब होगा कि वर्दीधारी भी शोषण के शिकार होते हैं, और यह शोषण कोई और नही बल्कि खुद उनके पुलिस विभाग के कार्यालय के ही लिपिक आदि करते हैं। दिन-रात ड्यूटी करने वाले इन वर्दीधारियों का शोषण भी वर्दीधारी ही करते हैं। यह कोई नई बात नही है बल्कि यह सिस्टम में समा चुका है। गोरखपुर जिले में महकमे में घुसते ही 39 नए सब इंस्पेक्टरों को एसएसपी ऑफिस में तैनात बाबू ज्ञानेंद्र सिंह ने रूपयों की खातिर उनका सर्विस कैरियर ही खराब कर दिया।बाबू ने घूस की रकम न देने पर इन सब इंस्पेक्टरों को एक साल जूनियर बना दिया। 2017 बैच के इन दरोगाओं का 2018 बैच का पीएनओ नम्बर एलाट कर दिया गया।दरोगाओं ने 2018 में ही जिले में आमद की थी वहीं उनका बैच निर्धारित कर दिया गया था। हालांकि अन्य जिलों में तैनात उनके साथियों को जब 2017 बैच एलाट हुआ था। उन्होंने जब शिकायत की तो बाबू ने कागजों में उलझा कर उन्हें जूनियर बनाए रखा और आज तक वे अपने अन्य साथियों से सर्विस में एक साल जूनियर हैं।पुलिस विभाग के बाबू की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे दरोगाओं के मुताबिक 20 नवंबर 2017 को मुरादाबाद पीटीएस में उन्होंने ट्रेनिंग के लिए आमद की थी। ट्रेनिंग पूरी होने पर उन्हें जिला एलाट हुआ था। 2 नवंबर 2018 को गोरखपुर जिले में 39 दरोगाओं ने आमद किया। उस वक्त तत्कालनीन एसएसपी दफ्तर के बड़े बाबू ज्ञानेंद्र सिंह ने इन्हें 2018 बैच का पीएनओ नम्बर एलाट किया। आपत्ति करने पर उसने पुलिसकर्मियों से 60 हजार रुपये के हिसाब से घूस की डिमांड की। नई नौकरी पाने वाले इन पुलिसकर्मियों ने जब बाबू को घूस की रकम नहीं दी तो उसने 2018 के पीएनओ नम्बर पर ही अपनी मुहर लगा दी। दरोगाओं ने जब अफसरों से शिकायत की तो उसने कागजों ने उन्हें उलझा दिया। बाद में डीजी टेक्निकल सर्विस ने भी आदेश जारी कर दरोगाओं का बैच निर्धारित किया लेकिन गोरखपुर में ज्वाइनिंग करने वाले 39 दरोगा अभी जूनियर बने हुए हैं। एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने बताया कि पुलिसकर्मियों की शिकायत पर जांच कराई जाएगी।बता दें कि जून 2019 में कैम्पियरगंज थाने में तैनात दारोगा पंकज यादव से मेडिकल प्रतिपूर्ति की फाइल पास कराने में घूस मांगने पर रंगे हाथ पकड़ा गया एसएसपी कार्यालय में तैनात बाबू ज्ञानेंद्र सिंह जेल जा चुका है। 13 जून 2019 को दरोगा ने एंटी करप्शन की सात सदस्यीय टीम ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद ज्ञानेंद्र सिंह को पुलिस सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया है।