हर घर नल, हर घर जल
- हर घर जल हर घर नल योजना के तहत ठेकेदारों व कर्मचारियों की मिलीभगत से घटिया नल लगे हैं जिन पर महीना पूरा होने से पहले जंक लग जाता है।
- रोज़गार के खास माध्यम न होने के कारण ग्रामीण जंक का पानी पीने पर मजबूर।
- पुरानी पाइपलाइन उखाड़ के ठेकेदार पाईप अपने घर ले गए।
केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल, हर घर जल योजना का बंदर बांट अब सामने आने लगा हैं। उत्तराखंड या उत्तराखंड जैसे बाकि पहाड़ी इलाकों में लोगों की सबसे बड़ी समस्या में से एक है पानी की समस्या। उसके बाद यहाँ के इलाकों में जो समस्या आती है वह है गरीबी, यंहा लोगों के पास रोज़गार के कुछ खास माध्यम नहीं होते। ऐसे में यह लोग पानी कनेक्शन के लिए 2350 रूपए का खर्च कैसे करेंगे, इसी समस्या को देखते हुए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा 1 रूपए में पानी का कनेक्शन योजना को शुरू की गया है। इस योजना के जरिए राज्य सरकार केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे हर घर जल के मिशन को साकार करना है और यह तभी हो सकता है जब देश के ग्रामीण इलाकों में पानी के कनेक्शनों को सस्ते दामों या मुफ्त में मुहैया कराया जाए। इस मिशन को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने एक रूपए पानी कनेक्शन योजना की शुरूआत की थी। जिस के 3 चरण हैं पहला चरण 40% पूरा हो चुका हैं जहां अभी योजना का लाभ नही पहुचा वहां करोना काल की चुनौती राज्य वित्त व दुर्गमता की वजह बनी हैं। उम्मीद हैं कि 2022 तक योजना का प्रथम चरण पूर्ण हो जायेगा।
अब बात करते हैं योजना में खामियों की। इस योजना में अनेकों खामियां नजर आई जिस में मुख्य गुणवत्ता वजह रही। राज्य में पानी की पाइप बनाने वाली कम्पनियों का पूर्व में जायजा नही लिया गया जिस कारण अचानक से कम्पनियों पर भार पड़ गया और गुणवत्ता में भारी कमी आई। आज 90% योजनाएं बिबाद की जड़ बन गई हैं। ग्रामीणों को जंक का पानी पीना पड़ रहा हैं जब कि वर्षों पुरानी जलनिगम व जलसंस्थान की योजनाएं आज भी गुणवत्तापूर्ण हैं। ठेकेदारों व विभाग के मध्य रिश्वतखोरी के कारण इस योजना ने धरातल में पैर रखते ही दम तोड़ दिया हैं। उत्तराखंड एक रूपए पानी नल जल कनेक्शन योजना के तहत राज्य के 15647 गांवों में 1509758 परिवारों के घरों तक स्वच्छ पीने योग्य पानी की पहुचाने का सपना तो साकार हो रहा हैं किंतु लोगों के सेहत से खिलवाड़ करने वाली यह योजना जल्द बंद होने के कगार पर आ गई हैं ग्रामीणों ने घटिया पाइपलाइन का बहिष्कार करना सुरु कर दिया हैं। पारंपरिक जलस्रोत पर पुनः ग्रामीण निर्भर हो गए हैं जिस कारण लाखों की योजना का औचित्य खत्म होता दिख रहा हैं। अनेकों ग्रामीणों का आरोप हैं कि ठेकेदारों द्वारा पुरानी पाइपलाइन उखाड़ घर लेगए जो ग्रामीणों द्वारा अपने पैसे से वर्षों पहले लगाई गई थी। कुछ गाँव से ठेकेदारों ने पाइपलाइन लगाने के पैसे भी लिए जो कानूनी नाजायज हैं। वर्तमान में घटिया गुणवत्ता लोगों की बेरुखी का मुख्य कारण हैं जिस से ग्रामीण खोपा है अनेकों परिवार बीमारी की चपेट में आ रहे हैं बच्चों, बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं को जंक लगे पानी से खतरा बन गया हैं। सुबह नल खोलते ही जंक का लाल पानी लोगों को मंदेरा भेज रहा हैं। इस में विभाग के साथ ठेकेदारों की मिलीभगत साफ दिखती हैं।
मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड से मांग हैं कि गुणवत्ता की जांच की जाय और दोषियों को सजा देकर राज्यवित दुरुपयोग के तरह राजद्रोह का मुकदमा किया जाय ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
देवेश आदमी