आपका भविष्य तलवार गोली बन्दूक के साथ बनाना है, या किताबें, पेन और इंटरनेशनल डिग्री से बनाना है, ये देश के युवाओं को तय करना है। इसकी कीमत भी युवाओं को चुकानी पड़ेगी
आइए आज हम एक छोटे से उदाहरण से समझते हैं कि इस समय देश की जरुरत क्या है, हमारे बड़े बुजुर्ग कह गए कि अगर हम उन्नति करना चाहते हैं कि अपने से ऊपर वालों को देखो, तो हम अपने से ज्यादा मजबूत और बड़े देशो की तरफ देखते हैं तो सबसे पहले अमेरिका आता है।
अमेरिका की जनसँख्या 32 करोड़ 50 लाख है, जीडीपी दुनिया में सबसे ज्यादा 21 ट्रिलियन डॉलर्स की है, फिर भी यहाँ 35% लोगों के पास खुद का घर नही है, दूसरा फैक्ट ये है, कि अमेरिका में साक्षरता है 86.3%, फिर भी बेरोजगारी है 5.9%,
फिर चीन जिसकी आबादी है 144 करोड़, जीडीपी है दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा 14 ट्रिलियन डॉलर्स है, साक्षरता 96.8% होने के बाद भी बेरोजगारी है 4.97%, यही चीन दुनियां में सबसे ज्यादा किताबें पब्लिश कर रहा है, 4 लाख से ज्यादा हर साल…कारण समझना होगा.
फिर जापान को देखे तो जनसँख्या है 12.63 करोड़, और जीडीपी है 5.8 ट्रिलियन डॉलर्स, लेकिन जापान में 39% लोगों के पास खुद का घर नही है, यहाँ साक्षरता है 99% पर बेरोजगारी है मात्र 2.97%.
ऐसे ही रूस की आबादी है 14.44 करोड़, जीडीपी है 1.7 ट्रिलियन डॉलर्स, और आज भी रूस में 15% लोगों के पास खुद का घर नही है, साक्षरता है 99.7%, बेरोजगारी है 4.43%,
अब भारत की देखे तो आबादी 136 करोड़, और 1.97 ट्रिलियन की जीडीपी है, लेकिन हमारे देश में आज कितने लोगों को रहने के लिए खुद का घर है, कोई डाटा ही नही है, 2011 का डाटा है, मतलब जुमलेबाज राज के बहुत पहले हमारे देश में 86% लोगों के पास खुद का घर था, आज तो बिकने की लाइन लगी है. भारत में साक्षरता है 69.3% लेकिन बेरोजगारी है 7.11%,
ये आँकड़े इसलिए बताए कि हम समझे कि हम कहाँ है, आज हम साक्षरता में पीछे हैं, और इन सब देशो से ज्यादा बेरोजगार हमारे भारत में है। जब प्रतिशत की बात करते हैं तो जनसँख्या के आधार पर यह संख्या और विकराल हो जाती है।
खैर ये तो आंकड़े हैं कि कौन सा देश कहाँ है इस समय, अब हम कहाँ जाना चाहते है।
ये आंकड़े बताने का कारण ये था कि देश की पहली ताकत और सोर्स ऑफ़ जीडीपी उस देश की जनता होती है, इस ताकत को और बढाने के लिए शिक्षा और रोजगार दिया जाता है, अमेरिका दुनियां की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और हमसे 4 गुणा कम आबादी है, फिर भी 35% लोग बेघर हैं, सिर्फ 6% बच्चों के माता पिता ग्रेजुएट हैं.
चीन की जनसँख्या हमसे ज्यादा है, फिर भी साक्षरता और रोजगार हमसे बेहतर है, इतनी जनसँख्या होने के बाद भी 80% लोगों के पास खुद का घर है, मतलब ये है की जनसंख्या कोई समस्या नही है,
जापान में जगह कम है, हमसे 11 गुणा छोटा है, जनसंख्या हमसे 10 गुणा कम है, फिर भी इकोनोमी हमसे बड़ी है, फिर कनाडा में देखे तो जनसंख्या हमसे बहुत कम और जमींन बहुत ज्यादा है, लेकिन दुनियां में कोई नाम नही है, न पैसा है, न ताकत.
मतलब ये है कि जनसँख्या, जमीं या पैसे ज्यादा होने से विकास होना पक्का नही है, विकास होता है एजुकेशन से, शिक्षा को जिन देशों ने महत्त्व दिया वो आज शिखर पर हैं। हमारी जनसँख्या हमारी ताकत है, यदि यह जनसँख्या साक्षर हो जाए तो हम फिर से दुनियां में डंका बजा सकते हैं।
कांग्रेस नीतियों ने भारत को लगभग 70% साक्षर किया, फिलहाल इस सेक्टर पर कोई ध्यान नही है, बल्कि स्कूल कॉलेज बंद किये जा रहे हैं।
फ़िलहाल हमें ऑक्सिजन, इंजेक्शन और वैक्सीन की जरूरत है, बाजार को फिर खड़ा करने की जरूरत है, लोगों को पैसे देने की जरूरत है, लोगों को डराकर, उन्हें मौत का डर दिखाकर, देश विकसित नही किया जा सकता, इस समय हम महामारी से जूझ रहे हैं, इस समय हमें रोगजार और पैसे चाहिए।
लोगों के पास पैसा आएगा तो बच्चों को स्कूल भेजेगे, बच्चे शिक्षित होंगे तो परिवार शिक्षित होगा, और लोग खुद ही परिवार नियोजन का मतलब जान जाएगे, इस समय लोग भूख से मर रहे हैं, बैंक के कर्ज से मर रहे हैं, बेरोजगारी से मर रहे हैं, और आपका ध्यान लोगों के बेडरूम पर है, जबकि आपका ध्यान उनकी आय बढाने पर होना चाहिए, शिक्षा के नए तारीके खोजने पर होना चाहिए, रिसर्च और डेवलपमेंट में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने की जरूरत है।
जो बुलेट ट्रेन सवा लाख करोड़ की खरीदी, उसके मेड इन इंडिया प्रोजेक्ट को पैसे देते तो आधी कीमत में खुद की बुलेट ट्रेन बन जाती।
लेकिन भाजपाई मानसिकता कभी हिन्दू मुस्लिम से आगे का नही सोच पाएगी और देश के युवाओं को यदि समय पर ये गन्दा खेल समझ नही आया तो सबसे ज्यादा नुक्सान आज के युवाओं का ही होने वाला है। आपका भविष्य तलवार गोली बन्दूक के साथ बनाना है, या किताबें, पेन और इंटरनेशनल डिग्री से बनाना है, ये देश के युवाओं को तय करना है।
बात इतनी सी है कि जैसे नोट बंदी से कालाधन नही आया, उल्टा बढ़ गया, वैसे ही जनसँख्या कानून से विकास नही आएगा। देश को इस समय एजुकेशन सेक्टर में क्रांति की जरूरत है, दुनियां कोरोना से टूट चुकी है, अब अगर हमने अपनी एजुकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया तभी हम अगले एक दो दशकों में बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकेंगे….
पर खुद पढ़े लिखे हों तो शिक्षा का मतलब समझेगे।
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर, मेरा रब करे सबकी खैर।
राजकुमार सिंह