आप जानते हैं सबसे अधिक “मीठा” वाला देश कौन है ?
जैसा कि हम सभी इस बात से अवगत हैं, चीनी यानी सुगर दुनिया भर के लोगों के लिए अनिवार्य खाद्य पदार्थ है। खपत की गई चीनी की मात्रा के संदर्भ में, भारत दुनिया में सबसे अधिक सुगर का उत्पादन और खाने वाला देश है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि भारत सबसे अधिक चीनी सामग्री वाला देश है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022-2023 में भारत में चीनी का कुल उत्पादन 35.8 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा। वास्तव में, भारतीय लोगों के आहार में लगभग सभी खाद्य पदार्थ, जैसे दाल, चाय एवं स्नैक्स आदि में चीनी से अविभाज्य हैं।
चीनी न केवल स्वादिष्ट होती है, यह मनुष्यों को प्रत्यक्ष ऊर्जा प्रदान करती है। वर्तमान में, दुनिया में चीनी मुख्य रूप से दो प्रकार के पौधों से आती है, एक गन्ना (लगभग 80%) है और दूसरा चुकंदर (लगभग 20%)। वर्तमान में कुल 110 से अधिक देशों में चीनी का उत्पादन किया जा रहा है। इस साल वैश्विक चीनी उत्पादन 182 मिलियन टन तक जा पहुंचेगा। भारत के अलावा इस साल ब्राजील में चीनी उत्पादन करीब 36 मिलियन टन तक पहुंचेगा। उधर थाईलैंड 10.5 मिलियन टन चीनी का उत्पादन करता है, लेकिन ब्राजील और थाईलैंड में उत्पादित अधिकांश चीनी का निर्यात किया जाता है। इसके अलावा, चीन 10.1 मिलियन टन सुगर का उत्पादन करता है, लेकिन यह चीन की भारी आबादी के लिए पर्याप्त नहीं है। इस साल अमेरिका में चीनी का उत्पादन 8.2 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा, जिसमें चुकंदर 55 प्रतिशत और गन्ना केवल 45 प्रतिशत है। लेकिन अमेरिका ने भी 2022 में 7.6 मिलियन टन कॉर्न सिरप का उत्पादन किया। कॉर्न सिरप आमतौर पर पेय, दूध और प्रसंस्कृत खाद्य उद्योगों में चीनी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। इस साल यूरोपीय संघ द्वारा 16.3 मिलियन टन चीनी का उत्पादन करने की उम्मीद है।
भारत की कुल चीनी खपत 29.8 मिलियन टन है, जो दुनिया में सबसे अधिक होता है। दूसरा 17 मिलियन टन के साथ यूरोपीय संघ है। उधर चीन 15.2 मिलियन टन के साथ तीसरे स्थान पर है। चौथा तो अमेरिका 11.3 मिलियन टन। बेशक, हमारी जनसंख्या को देखते हुए, हमारे लोगों में सुगर की खपत उतना ज्यादा तो नहीं है। यूरोपीय और अमेरिकी लोग वास्तव में बहुत अधिक मिठाई खाते हैं। उनके दैनिक भोजन में चीनी की मात्रा एशियाई लोगों की तुलना में बहुत अधिक है। डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुसार दैनिक चीनी का सेवन 11 ग्राम है, और यदि यह 25 ग्राम से अधिक है, तो यह अत्यधिक है। पर औसत अमेरिकी प्रतिदिन 126.4 ग्राम चीनी का सेवन करता है, क्योंकि उनके फास्ट फूड, सोफ्ट ड्रिंकिंग और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में चीनी बहुत अधिक है। उधर यूरोपीय लोग कॉफी, चाय, चॉकलेट, केक और अन्य खाद्य पदार्थों में भी चीनी मिलाते हैं। इन आहार संबंधी आदतों के कारण यूरोपीय लोगों की दैनिक चीनी का सेवन अनुशंसित मात्रा से लगभग 9 गुना अधिक हो जाता है। इसलिए, यूरोपीय और अमेरिकियों की उच्च मोटापे की दर अकारण नहीं है।
चीनी के अलावा ग्लूकोज, शहद भी दूसरे रूपों का सुगर है। “चीनी” वास्तव में एक कार्बोहाइड्रेट है जो ऊर्जा प्रदान कर सकता है। लेकिन उच्च चीनी आहार से मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, दंत रोग, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि खतरे को बढ़ाया जाता है। इसलिए स्वस्थ आहार अपनाकर बीमारियों से दूर रहना और अपने शरीर की रक्षा करना चाहिये।
राजकुमार सिंह परिहार