वादा तेरा वादा , वादे पे तेरे मारी गयी जनता ये सीधी-साधी
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जनता को किया सम्बोधित जिसमें उन्होंने कई बाते कही। आइये कुछ बातों का आंकलन करते है –
- महिलाओं का सम्मान विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास के लिए महिलाओं का सम्मान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, हमें अपनी ‘नारी शक्त’ का समर्थन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र जिसने प्रगति की है, उसके नागरिकों में अनुशासन गहरायी से समाया हुआ है। पीएम मोदी ने कहा कि अगर सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं तो भारत तेजी से तरक्की करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की प्रगति की आधारशिला समानता है, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम ‘भारत पहले’ के मंत्र के जरिये एकजुट रहें।
प्रधान मंत्री ने महिलो के लिया अपने में कहा:
मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं।
अगर प्रधान मंत्री मोदी को महिलाओं की सच में इतनी चिंता है तो इनके जो मंत्री या नेता सेक्स रैकेट में पकड़े गए, छेड़छाड़ करते हुए जाते हैं और महिला से लाभ मांगते हैं तो हमारे प्रधान मंत्री इसे लोगों को अपनी पार्टी से नहीं कहते हैं। क्या अब आपको महिला सम्मान नहीं दिख रहा है?
- जय जवान से जय अनुसंधान तक
पीएम मोदी ने लाल किले से अपने भाषण की शुरुआत देशवासियों और दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों को बधाई और बधाई देकर की। उन्होंने स्वतंत्रता के अमृत उत्सव पर भारत प्रेमियों और दुनिया भर में फैले भारतीयों को बधाई दी। आज के भाषण में पीएम मोदी ने जय जवान-जय किसान के नारे को नया रूप दिया। उन्होंने कहा, “लाल बहादुर शास्त्री जी का जय जवान, जय किसान का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल जी ने ‘जय विज्ञान’ कहकर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी, लेकिन अब काल के अमृत की एक और अनिवार्यता है, वह है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।
प्रधान मंत्री को जय जवान और जय किसान के नारे को नया रूप जय अनुसंधान क्यों देना पड़ा
प्रधान मंत्री को जय जवान और जय किसान के नारे को नया रूप जय अनुसंधान इसलिये देना पड़ा क्योंकि अग्निवीर ने जवानो को या एमएसपी हटाने ने किसानो को खतम सा कर दिया है वारना न किसान सड़कों पे आंदोलन करने आते न नौजवान। किसान आंदोलन ने लाखो किसानों की आमदनी आधी कर दी जिसे आपने 2017 के भाष में कहा था की मैं किसान की आई दुगनी कर दूंगा और लाभ 750 किसानों ने उस आंदोलन में अपनी शहादत दी। उसी तरह अग्निवीर के खिलाफ किया नौजवान आंदोलन ने लाखो नौजवानों की रोजगार की उम्मीद को छलनी कर दिया।
- धरती से जुड़ी भारत की नई शिक्षा नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति धरती से जुड़ी है, जिसमें कौशल पर जोर दिया गया है और यह हमें गुलामी से मुक्ति दिलाने की ताकत देगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विभिन्न लोगों के विचारों के प्रवाह को संकलित करके मंथन के साथ बनाई गई है। भारत की शिक्षा नीति को मिट्टी से जोड़कर बनाया गया है। इसमें हमने कौशल पर जोर दिया है, यह एक ऐसी शक्ति है जो हमें गुलामी से मुक्त होने की ताकत देगी।
भारत में शिक्षा की बदहाल स्थिति
आज देश में दो तरह की शिक्षा व्यवस्था है एक पैसे वालों और सक्षम लोगों के लिए जो अच्छे से अच्छे इंग्लिश मीडियम के स्कूल में पढ़कर देश के उच्च संस्थानों में जाकर अपना भविष्य संवार सके और दूसरा गरीबों की जिनका सरकारी स्कूलों से पढ़कर अपना भविष्य बनाने की जदोजहद में उच्च संस्थानों में पढ़ना महज एक सपना रह गया है।
देश आजादी के बाद से जहां ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ कहे जाने वाले उच्च संस्थानों का निर्माण हुआ वहीं प्राथमिक शिक्षा बदहाल होती रही। सरकारी स्कूली व्यवस्था इस तरह से कमजोर हो गयी कि सरकारी स्कूल के बच्चे इंग्लिश मीडियम के प्राइवेट स्कूल के बच्चों से पिछड़ने लगे और प्राइवेट स्कूल और इंग्लिश मीडियम स्कूल की महत्ता बढ्ने लगी। सत्तर- अस्सी के दशक में पहली बार सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान चलाया, फिर मिड-डे-मिल का भी प्रबंध किया गया और उसके उपरांत आने वाली हर सरकार ने कुछ न कुछ प्रयास किए लेकिन बुनियादी शिक्षा कि व्यवस्था में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही आया। शिक्षा का अधिकार कानून (राइट टू एडुकेशन एक्ट) बना लेकिन इतने सालों बाद भी यह सभी राज्यों में सभी प्राइवेट स्कूलों में लागू नही हो पा रहा है।
- भ्रष्टाचार और भाई–भतीजावाद पर हमला
पीएम मोदी ने कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती है भ्रष्टाचार और दूसरी चुनौती है भाई-भतीजावाद… परिवार। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, वहां एक दृश्य है कि एक तरफ ऐसे लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है, दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं जिनके पास अपनी खुद की चोरी। तैयार सामान रखने की जगह नहीं है। यह स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए हमें पूरी ताकत से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा। इसके लिए भी और सभी संस्थाओं की शुद्धि के लिए… हमें इस पारिवारिक मानसिकता से छुटकारा पाना होगा। हमें योग्यता के दम पर देश को आगे ले जाने की ओर बढ़ना है।
नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में भी है परिवारवाद
सुषमा स्वराज- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पिता बलदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और हरियाणा में राज्य स्तर के नेता रहे थे। सुषमा के पति स्वराज कौशल भी राजनीति से जुड़े रहे हैं, वो 1990 से 93 तक मिजोरम के गवर्नर और 1998 से 2004 तक राज्यसभा सांसद रहे हैं। उनकी छोटी बहन वंदना शर्मा हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं लेकिन जीत नहीं सकी थीं।
पीयूष गोयल- मोदी सरकार के पीयूष गोयल की राजनीति को उनकी पार्टी के शब्दों में वंशवाद का परिणाम कहा जा सकता है। पीयूष की मां चंद्रकांता गोयल तीन बार विधायक रहीं और उनके पिता वेदप्रकाश गोयल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे थे।
निर्मला सीतारमण- निर्मला सीतारमण ने पराकला प्रभाकर से शादी की। पराकला का परिवार राजनीतिक परिवार है। पराकला के पिता आंध्र प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता थे वो मंत्री भी रहे, उनकी मां भी विधायक रहीं। पराकला ने भी 1994 और 1996 में कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक का चुनाव लड़ा पर हार गए फिर वो भाजपा में शामिल हो गए.। 1998 में नरसपुर से चुनाव लड़ा, चुनाव में उनकी हार हुई. वह आंध्र प्रदेश में टीडीपी की वर्तमान सरकार में कैबिनेट रैंक की कम्युनिकेशन एडवाइजर की पोस्ट पर थे लेकिन टीडीपी के एनडीए का साथ छोड़ते ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
रविशंकर प्रसाद- रविशंकर प्रसाद बिहार में कर्पूरी ठाकुर सरकार में मंत्री रहे ठाकुर प्रसाद के बेटे हैं। ठाकुर प्रसाद जनसंघ के शुरुआती नेताओं में से थे. वो जनसंघ की बिहार यूनिट के अध्यक्ष भी रहे थे।
चौधरी बीरेंदर सिंह- चौधरी बीरेंदर सिंह किसान नेता सर छोटूराम के पोते हैं. बीरेंदर के पिता चौधरी नेकीराम भी पंजाब-हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे। बीरेंदर सिंह 2014 तक कांग्रेस में रहे और लोकसभा चुनाव से पहले इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए। उनकी पत्नी प्रेमलता भी हरियाणा की उचाना कलां विधानसभा से विधायक हैं।
राव इंद्रजीत सिंह- राव इंद्रजीत सिंह राव बीरेंदर सिंह के बेटे हैं जो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. बीरेंदर सिंह हरियाणा और पंजाब की सरकार के साथ केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे थे।
धर्मेंद्र प्रधान- धर्मेंद्र प्रधान के पिता देबेंद्र प्रधान ओडिशा में भाजपा के बड़े नेता थे. वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे थे।
हरसिमरत कौर बादल- हरसिमरत कौर बादल सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं। सुखबीर पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, सुखबीर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं।
विजय गोयल- विजय गोयल केंद्र में मंत्री बनने से पहले दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रहे थे. इनके पिता चरती लाल गोयल दिल्ली बीजेपी के बड़े नेता थे और दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रहे थे।
जयंत सिन्हा- जयंत भाजपा के कद्दावर नेता और वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। यशवंत सिन्हा ने हाल ही में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।
किरण रिजिजू- अरुणाचल से आने वाले किरण रिजिजू के पिता रिन्चिन खारू राजनीति में सक्रिय थे। वो अरुणाचल प्रदेश की पहली विधानसभा में प्रो-टर्म स्पीकर भी रहे थे।
अनुप्रिया पटेल- अपना दल की सांसद और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल सोनेलाल पटेल की बेटी हैं। सोनेलाल ने ही अपना दल की स्थापना की थी. उनकी एक सड़क हादसे में मौत के बाद उनकी पत्नी इस पार्टी की अध्यक्ष बनीं। इनकी बेटी अनुप्रिया अब मोदी सरकार में मंत्री हैं।
इसके बाद बारी उन मंत्रियों की जो अपने परिजनों को राजनीति में स्थापित कर रहे हैं
राजनाथ सिंह- भारत सरकार में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपना राजनीतिक मुकाम खुद हासिल किया। लेकिन अब वो अपनी विरासत को अपने पुत्र पंकज सिंह के सहारे आगे बढ़ाना चाहते हैं। पंकज उत्तर प्रदेश भाजपा के महासचिव हैं और नोएडा से विधायक भी हैं हालांकि राजनाथ सिंह का कहना है कि उनका बेटा 2002 से भाजपा में कार्यकर्ता की तरह काम कर रहा है और 15 साल मेहनत के बाद 2017 में उसे टिकट मिला है।
नरेंद्र सिंह तोमर- मोदी सरकार में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह को राजनीति में स्थापित करने में लगे हुए हैं। रामू भैया के नाम से पुकारे जाने वाले देवेंद्र मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की तरफ से टीवी पर पार्टी का पक्ष रखते हुए कई बार दिखाई पड़े। वह स्थानीय राजनीति में काभारतफी सक्रिय हैं। फिलहाल कोई चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन हर त्यौहार पर उनके गृहनगर में लगने वाले पोस्टर दिखाते हैं कि वो राजनीति में जगह बनाने की पुरजोर कोशिश में हैं।
रामविलास पासवान- बिहार की हाजीपुर सीट से सांसद और केंद्र में मंत्री रामविलास पासवान राजनीति में अपने परिजनों को साथ लेकर चल रहे हैं। उनके बेटे चिराग पासवान सांसद हैं। रामविलास के छोटे भाई पशुपति नाथ बिहार सरकार में मंत्री हैं। साथ ही, उनके दामाद अनिल पासवान भी राजनीति में सक्रिय हैं।
- 20 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में पड़ने से बचाएं
पीएम ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में आधार और मोबाइल सहित अन्य आधुनिक प्रणालियों का उपयोग करते हुए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 20 लाख करोड़ रुपये को गलत हाथों में पड़ने से बचाया गया और सरकार इसे बेहतरी के लिए प्रसारित करने में सफल रही। देश। हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है और उन्हें इसके खिलाफ लड़ाई को तेज करके इसे निर्णायक मोड़ पर ले जाना है. उन्होंने कहा, “मेरे 130 करोड़ देशवासियों, आप मुझे आशीर्वाद दें, आप मेरा समर्थन करें, मैं आज आपका समर्थन मांगने आया हूं, ताकि मैं यह लड़ाई लड़ सकूं और देश इस लड़ाई को जीत सके।”
बट्टे खाते में क्यों डाले 10 लाख करोड़ रुपये
- बैंकों ने पांच साल में 10 लाख करोड़ के लोन बट्टे खाते में डाले
- गीतांजलि जेम्स पर सबसे ज्यादा 7,110 करोड़ रुपये बकाया
- बैलेंस शीट दुरुस्त करने के लिए फंसे कर्ज को राइट ऑफ किया जाता है
- बट्टे खाते में डाले जाने के बाद भी कर्ज की वसूली की जाती है
बैंकों (Commercial Banks) ने पिछले पांच वित्त वर्ष में लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते (loan write off) में डाला है। वित्त राज्यमंत्री भागवत के. कराड ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान, बट्टेखाते में डाली जाने वाली राशि इससे पिछले वित्त वर्ष के 2,02,781 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 1,57,096 करोड़ रुपये रह गई। वर्ष 2019-20 में, बट्टेखाते में डाली गई राशि 2,34,170 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2018-19 में 2,36,265 करोड़ रुपये के पांच साल के रिकॉर्ड स्तर से कम था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान, बैंकों ने बट्टे खाते में 1,61,328 करोड़ रुपये डाली थी। मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर पिछले पांच वित्त वर्ष (2017-18 से 2021-22) में 9,91,640 करोड़ रुपये का बैंक ऋण बट्टे खाते में डाला गया है।
वैसे प्रधानमंत्री के वादे और बाते कब पूरी होंगी ये एक सवाल है जिसका जवाब ढूँढना असंभव सा है। जैसे प्रधानमंत्री ने कहा था 2022 तक सबके सर पर छत होगी, 2022 तक भारत में बुलेट ट्रैन आ जाएगी , भारत की अर्थव्यवस्था ५ ट्रिलियन तक पहुँच जाएगी इत्यादि।
स्वाति नेगी