मणिपुर में क्या और क्यों हो रहा है, इसके पीछे कौन-कौन है…???
मणिपुर में जो हो रहा है वो केवल सत्ता के आँख मींचने पर हो रही हिंसा नहीं है, बल्कि सत्ता द्वारा ही करवाई गयी हिंसा है…!!!
मणिपुर में 53% जनसँख्या “मैतेई” लोगों की है, और वही वहाँ की पूरी राजनीति को नियंत्रित करते हैं। वहाँ पर “कुकी” और “नागा” दो और प्रमुख जनजातियां है जिनकी आपस में अंग्रेज़ों के समय से लड़ाई रही है।
“मैतेई” लोग “कुकी” लोगों को उनकी जमीन से हटाना चाहते हैं, क्योंकि “कुकी” लोग वहाँ की कीमती ज़मीन पर अभी बसे हुए हैं।
ये पंगा वैसे तो 1920s से ही बड़े रूप में सामने था, लेकिन जब 1966 में इलाका Protected Forest declare हुआ तो उसमें “कुकी” जनजाति के भी कई गाँव आ गए थे, “कुकी” लोगों ने इसका विरोध किया कि उनका इलाका उनका है नाकि कोई सरकारी जंगल। इसलिए 1970 और 1980 के दशक में इन लोगों को अपने इलाकों में रियायत मिली।
लेकिन मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह जो कि “मैतेई” समाज से आते हैं उन्होंने 2022 में इन रियायतों को cancel करने का फैसला लिया। और कई जगहों पर “कुकी” समाज के गाँवों को illegal declare कर दिया, अब इससे “कुकी” समाज में गुस्सा होना ही था, कई जगह पर उनके घर और Church आदि इस नाम पर तोड़े गए।
अब ये केवल सरकार के स्तर पर नहीं बल्कि, “मैतेई” समाज की कई organisations बनाई गईं जिनका काम था “कुकी” लोगों के खिलाफ campaign करना। वो “कुकी” लोगों को illegal immigrants और अफीम माफिया और drug trader इत्यादि के तौर पर Social Media और Ground पर बदनाम करने लगे ताकि इनके खिलाफ माहौल बन सके।
Manipur में अफीम की तस्करी बहुत आम चीज़ है, और सरकारी आंकड़ों के हिसाब से मैतेई, कुकी, मुस्लिम और बाकी समाज भी बराबर involve रहता है इसमें, लेकिन यहां “कुकी” समाज को सीधा target किया गया। 2018 में हुए drug trade expose में कुकी, मैतेई दोनों समाज के अफसरों से लेकर राजनीतिज्ञों तक सब इसमें involve मिले थे।
Manipur के इस इलाके में Drugs के अलावा Weapons की भी जबरदस्त international smuggling होती है जिसे control करने के लिए भी “कुकी” और “मैतेई” militia में संघर्ष रहता है।
ये संघर्ष कई दशकों से है, और “मैतेई” लोगों को ये कतई पसंद नहीं कि tribal इलाकों में वो “कुकी” लोगों पर dependant हैं। Drugs और Weapons के trade के अलावा यहां Tea, Rubber और कोयले के लिए भी संघर्ष रहा है। 2010 में जब इस इलाके में Natural Gas का बड़ा भंडार मिला, Netherlands की एक कंपनी को और जब उसने भारत सरकार के साथ exploration का contract किया उसके बाद से ज़मीन के लिए संघर्ष और बढ़ गया।
Manipur में GSI* (Geological Survey Of India) *के सर्वेक्षण में Malachite, Azurite और Magnetite के अलावा Nickel, Copper और Platinum समूह तत्व (PGE)/Platinum समूह धातुएं पाए जाने की सूचना मिली है। यही नहीं भारी मात्रा में Uranium और Thorium के भी भंडार हैं Manipur में।
यह पहाड़ियों के नीचे स्थित हैं जो हजारों वर्षों से “कुकी” आदिवासियों का घर है।
Manipur में 89% भूमि पहाड़ियाँ हैं। बहुमूल्य Minerals उस क्षेत्र में हैं और जहां “कुकी” आदिवासियों का घर है।
सत्तारूढ़ दल से करीबी संबंध रखने वाली जानी-मानी विदेशी और निजी कंपनियाँ खनन अधिकार प्राप्त करने में रुचि रखती हैं। पहाड़ी निवासियों को बेबस होकर पहाड़ी और पहाड़ की चोटियों को कटते और राक्षसी खनन उपकरणों को उसके पेट में घुसकर अपना माल बाहर निकालते देखना होगा…!!!
BJP सरकार ने अपनी बुद्धिमत्ता (चंटई/चालाकी) और रणनीति से “मैतेई” समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का निर्णय लिया।
एक बार “मैतेई” को ST का दर्जा मिल जाए, तो वे आसानी से पहाड़ी संपदा पर कब्जा कर सकते हैं। फिर इसे Mining कंपनियों को भारी मुनाफे पर बेचा जा सकता है। यह घाटी (जहां मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं) के लोगों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता था।
बेशक “कुकी” समुदाय को यह पसंद नहीं है…!!!
इसी के खिलाफ “कुकी” समुदाय ने प्रदर्शन किया था जिसके बाद हिंसा बढ़ी और बढ़ती ही चली गयी, और यहां तक पहुँच गयी कि “कुकी” समुदाय की Rape Victim जिसका video viral हुआ उसका बयान है कि उसे पुलिस ही उसके घर से उठाकर ले गयी थी और “मैतेई” लोगों की भीड़ के पास छोड़ दिया जहां भीड़ ने पहले उसके बाप और भाई को जान से मारा और फिर दोनों महिलाओं को नग्न करके घुमाया।
विश्व के अधिकांश भागों में बहुमूल्य धातुएँ और खनिज वन भूमि में पाए जाते हैं। आदिवासियों को जबरन बाहर कर दिया जाता है, अनुचित मुआवज़े के साथ। *उनका कसूर यह है कि वे जन्मजात आदिवासी थे।
बेहद शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण Manipur पिछले एक साल के भीतर युद्ध का मैदान बन गया है…!!!
सामाजिक ताने-बाने में दरार के कारण हजारों लोगों को अपना घर खोना पड़ा, सैकड़ों लोगों की जान चली गई और महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ।
ये तो वो है जो सामने दिख रहा है, अब देखते हैं पीछे का खेल…!!!
Resources और Minerals की लूट और अपने राष्ट्र हितों के लिए agencies पहले उस region के सामाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करती हैं, बड़े स्तर पर धर्मांतरण करती हैं, उस region को unsettle किया जाता है।
Manipur अपनी geographical location, demography, अपने Natural Resources और Minerals के कारण पूरी दुनिया की निगाहों में चढ़ा हुआ है। इस region में RSS की मदद से Missionaries, MOSSAD, CIA, ISI, Anglo-Saxons और China का बड़ा involvement है।
🔹 Missionaries, MOSSAD, CIA, & Narco Terror Pipeline
अब तक जनजातियाँ केवल जातीयता के आधार पर विभाजित थीं। British Missionary प्रयासों के प्रवेश के साथ; संघर्ष जातीय और धार्मिक हो गया। अंग्रेजों ने William Pettigrew जैसे Missionaries को पहाड़ियों के साथ-साथ घाटी में भी लोगों के प्रचार और धर्मांतरण की अनुमति दी। 1908 में, British ने American Baptist Society को पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी Missionary गतिविधियों का विस्तार करने और Missionaries को कुकी जनजातियों के साथ शिक्षा नीतियों और अन्य संपर्कों का विस्तार करने के लिए प्रेरित करने की अनुमति दी। कई अन्य Missionaries ने भी Manipur के पहाड़ी इलाकों में तेजी से प्रचार और ईसाई धर्म में रूपांतरण में योगदान दिया। 1951 से 2011 के बीच Manipur में christian आबादी 15% से बढ़कर 41% हो गई। यह तेजी से हो रहे धर्मांतरण का परिणाम था जो आजादी के बाद भी जारी रहा क्योंकि North East में जनजातियों को व्यापक समाज से संरक्षित किया जाना था जबकि Missionaries और Church को खुली छूट थी।
Manipur में “नागा” Imphal घाटी के उत्तर में रहने वाली जनजातियों का एक समूह है। ये जनजातियाँ Nagaland के साथ-साथ Assam तक फैली हुई हैं। Manipur के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले “कुकी” जनजातियों के कुछ वर्गों का मानना है कि वे Mizoram के कुछ “मिजो” की तरह ही Bnei Menashe हैं। Bnei Menashe को Israel राज्य द्वारा खोई हुई यहूदी (Jews) जनजातियों में से एक माना जाता है। इस विश्वास को Mei Chalah ने मजबूत किया था, जिन्होंने सपना देखा था कि उनके लोग Jerusalem के हैं और यहां तक कि “कुकी” राष्ट्रीय संगठन भी सभी “कुकी” आदिवासियों को Bnei Menashe जनजाति का हिस्सा मानता है, जिनमें से अधिकांश Manipur में ईसाई हैं। Israel ने अक्सर खुद को यहूदी बताने वाले इन आदिवासियों के लिए Israel में प्रवास करने और यहूदी धर्म का पालन करने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। Israel ने उत्तर-पूर्व में एक विशेष वाणिज्य दूतावास भी खोला है। *2017 की एक ख़बर के अनुसार तब तक 7000 से ज्यादा कुकी लोगों को Israel भेजा जा चुका था और इन्हें Israel की सेना में भर्ती किया गया। कुकी जनजाति बेहद शानदार लड़ाके होते हैं। इस प्रकार, Manipur में विभिन्न जातीय दोष हैं जिनका निहित स्वार्थों द्वारा North East India में अराजकता पैदा करने के लिए शोषण किया जा रहा है। Asia का सबसे बड़ा Church, India के North East में है।
Missionaries, MOSSAD, CIA इस पर बहुत लंबे समय से गहरे तक काम कर रहे हैं जिनका उद्देश्य एक ईसाई बहुसंख्यक देश “NAGALIM” यानी Greater Nagaland बनाना है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, Manipur “कुकी” और “नागा” आदिवासियों के प्रभुत्व वाले पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर अफ़ीम की खेती का गढ़ है और यह Narco-Terror pipeline का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो Manipur से सीमा पार Myanmar के अराजक प्रांतों में Thailand के Golden Triangle तक बहती है। 2018 से Manipur सरकार ने पहाड़ी जिलों में खस-खस के स्थान पर इलायची और lemon grass का उपयोग करने पर जोर देते हुए नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान शुरू किया था। हालाँकि, अफ़ीम की खेती करने वाले किसान अफ़ीम की खेती छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे और उन्होंने यह तर्क देते हुए इसका विरोध किया कि जिला परिषदें, जो अर्ध-न्यायिक स्वायत्त समूह हैं, उन्हें ही निर्णय लेना है।
Manipur के मुख्यमंत्री N Biren Singh ने August 2022 में विधानसभा को सूचित किया था कि अब तक Myanmar के साथ लगने वाली Manipur की 390 किलोमीटर लंबी सीमा में से केवल 7.9 किलोमीटर पर बाड़ लगाई गई है। यह Golden Triangle से North East India की ओर जाने वाली illegal drugs के लिए एक easy transit point बनाता है।
पिछले साल, Myanmar में 40,000 hectare (99,000 एकड़) अफ़ीम की खेती की गई थी, जिसमें लगभग 800 metric ton की अनुमानित संभावित अफ़ीम उपज थी। Myanmar की कुल अवैध अफ़ीम अर्थव्यवस्था अब $2 Billion की होने का अनुमान है, जबकि Heroine का क्षेत्रीय बाज़ार आश्चर्यजनक रूप से $10 Billion का है। विभिन्न researchers के अनुसार Manipur में Narcotics की smuggling के Network में कुछ महत्वपूर्ण transit point हैं:
1 . Behiang- Singhat- Churachandpur- Imphal
2 . Behiang- Singhat- Tipaimukh- Silchar
3 . Mandalay- Tahang
4 . Tamu- Moreh- Imphal
5 . Homalin- Ukhrul- Jessami- Kohima
- New Somtal (in Chandel district)- Sugnu- Churachandpur- Imphal- Kohima- Dimapur
7 . Kheinan- Behiang- Churachandpur- Imphal- Kohima- Dimapur - Homalin- Kamjong- Shangshak Khullen- Ukhrul
9 . Mandalay- Tahang- Tiddim- Aizwal- Silchar
10 . Myitkina- Maingkwan- Pangsau Pass- Namnpong- Jairangpur- Digboi
11 . Putao- Digboi- Pasighat (Arunachal Pradesh)- other destinations
12 . Tamanthi (Myanmar)- Noklak (Nagaland- Myanmar Border)- Kohima- Dimapur.
Golden Triangle का जाल विश्व स्तर पर फैला हुआ है और कई बड़े खिलाड़ियों एवम देशों के हितों की सेवा करता है। Myanmar के border provinces से Manipur में खस-खस और extensive synthetic drug के व्यापार का मतलब है कि गंदी सुइयों के माध्यम से अंतःशिरा दवाओं के उपयोग के कारण HIV/AIDS की महामारी फैल गई है। सभी कुल HIV मामलों में से Manipur में 8% मामले हैं और इनमें से 76% मामले IDU (Intravenous Drugs Users) के साथ India में तीसरे स्थान पर हैं। इसलिए, Triangle को कमजोर करने का कोई भी प्रयास उनके हितों के लिए सीधा खतरा माना जाएगा।
🔹 ISI, CHINA & Anglo-Saxons
Manipur भी उग्रवाद का केंद्र है जिसके कारण भारतीय सुरक्षा बलों पर विभिन्न आतंकवादी हमले होते रहे हैं। Myanmar के border areas में कई आतंकवादी समूहों के सक्रिय होने के बाद स्थिति और भी खराब हो गई है। Myanmar के border areas में कुछ ज्ञात आतंकवादी संगठन Kachin Independence Army (KIA), Arakan Army (AA), और United Wa State Army (UWSA) ) हैं जो शक्तिशाली हैं और Military Junta के खिलाफ हैं।
Myanmar की Military Junta तेजी से अपने क्षेत्र के बड़े हिस्से पर नियंत्रण खो रही है, खासकर Rakhine के strategic coastal province में। Arakan Army अब Tatmadaw के साथ खतरनाक लड़ाई में शामिल है, क्योंकि वह Bangladesh की सीमा से लगे उत्तरी Rakhine में Maungdaw township पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है। Kachin विद्रोहियों ने न केवल Kachin province के अधिकांश हिस्से पर अपना प्रभावी नियंत्रण बढ़ाया है, बल्कि एक University खोलकर और China की सीमा से लगे province में उच्च शिक्षा का प्रभार लेने का निर्णय लेकर पर्याप्त आत्मविश्वास दिखाया है। ये समूह पहले से ही China-Myanmar सीमा पर विशाल क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं और Junta ने संघर्ष से परहेज किया है, खासकर Wa समूह के साथ, जो Chinese anti-aircraft batteries और Helicopter gunships से लैस है। Military Junta न केवल अधिक से अधिक क्षेत्र खो रही है बल्कि People’s Defense Forces (PDF) के Bamar विद्रोहियों की बढ़ती आक्रामकता को नियंत्रित करने में भी असमर्थ है। PDF आधिकारिक तौर पर parallel राष्ट्रीय एकता सरकार/National Unity Government (NUG) की सैन्य शाखा है। *इसके अलावा, Chinese proxy विद्रोही समूहों के रूप में Kachin विद्रोहियों और Arakan Army की India के खिलाफ दुश्मनी जगजाहिर है और अतीत में भी इन समूहों ने भारतीय क्षेत्र के अंदर आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है। Manipur में हालिया हिंसा के दौरान, हमने Myanmar की सीमा पार से विद्रोहियों और हथियारों के लगातार प्रवाह का videos देखें है। पिछले कुछ वर्षों से, हम जानते हैं कि Myanmar सीमा क्षेत्र अराजक होते जा रहे हैं और इसलिए भारत सरकार को खुली सीमा पर तेजी से बाड़ लगाने के उपाय करने चाहिए थे जो नहीं किए।
Myanmar के अराजक provinces से China manufactured synthetic drugs और arms की निरंतर आपूर्ति जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। US State Department ने China द्वारा निर्मित synthetic drugs, यानी fentanyl के खतरे को भी चिह्नित किया है, जो Myanmar से Mexico के रास्ते America तक पहुंचती है। South Asia और South East Asia में Drug Network को बड़े पैमाने पर Chinese network द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिसमें Pakistan की ISI सक्रिय रूप से North East India और Golden Triangle में इन Narco-Terror Pipelines का हिस्सा है। कई बार, India के North East region में अराजकता फैलाने के लिए इन आतंकवादी समूहों को छोटे और हल्के हथियारों की आपूर्ति के लिए Drugs, Narcotics के व्यापार से प्राप्त income का उपयोग किया जाता है।
यहां दो कारकों को याद रखना महत्वपूर्ण है। Anglo-Saxon (America, Britain, Scandinavia & Jews) हित India के North East में एक अलग ईसाई राष्ट्र (Chiristian Country) के निर्माण के समर्थन में हैं जो इसके Geopolitics, Economic, Military, Cultural और Strategic उद्देश्यों को पूरा करेगा। तेजी से हो रहे धर्मांतरण ने Church को अंतिम बाधा के रूप में खड़े मैतेई और अन्य सहायक जनजातियों के साथ एक गढ़ हासिल करने में सक्षम बनाया है। India के North East में एक non-aligned state (Christian Country) Indian Growth, civilisational soft power, को कम करने के लिए उपयोगी होगा, leverage के रूप में कार्य करेगा और India & China दोनों के लिए एक strategic निगरानी चौकी के रूप में काम करेगा। United States Of America को हमेशा अपने पक्षों पर Geography का natural लाभ मिला है और वह China की organic और inorganic पहुंच को रोकने के लिए अपनी कार्रवाई को China के करीब लाना पसंद करेगा।
China के लिए, India के North East में उसके द्वारा sponsored अराजकता ऐसी strategic निगरानी चौकी को बनने से रोकेगी/देरी करेगी। इसके अलावा, यह क्षेत्र अपने नशीली दवाओं के व्यापार के कारण China के लिए एक दुधारू गाय है जिसके माध्यम से वह व्यापक छद्म युद्ध को अंजाम दे सकता है।
जनजातियाँ खेल में केवल और केवल collateral damage या मोहरे हैं…!!! इसके अलावा, क्षेत्र में अराजकता, Indian Nation के साथ states के पूर्ण एकीकरण को रोकती हैं, India की Act East policy को कमजोर करती हैं, विकास को पटरी से उतारती हैं, India के rise को कम करती हैं क्योंकि यह हमें अपने घरेलू सुरक्षा हितों की रक्षा में व्यस्त रखती है। Cold War 2.0 में जब China और America टकरा रहे हैं, हम दुर्भाग्य से खेल का मैदान (playground) बन गए हैं मौजूदा BJP सरकार की वजह से। जैसे-जैसे युद्ध गति पकड़ेगा, क्षेत्र में हस्तक्षेप और अराजकता बढ़ेगी।
हमें तदनुसार कार्य करने और अपने हितों की रक्षा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
हम जो जातीय हिंसा देखते हैं, उसके पीछे निश्चित तौर पर कीमती धातुओं, खनिजों, खनन लॉबी, राजनीतिक लाभों की एक अनकही कहानी है…..और यह मैंने कई बार बताया है कि सारी लड़ाईयां, सारे युद्ध, षड़यंत्र सब Natural Resources और Minerals की लूट के लिए होती है।
America, France, Britain यह सब देश पूरी दुनिया में सिर्फ Minerals ही तो लूट रहे हैं, फिर चाहे वो युद्ध के जरिए हों या सत्ता बदलवा कर, उसे नियंत्रित कर…!!!
India में दूसरा वाला formula अपनाया जाता है…!!!
आदित्य राज