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कृत्रिम मेघा और पत्रकारिता

राजकुमार सिंह परिहार

मेरा इकलौता सुझाव यह है कि, अपने सपने का अनुसरण करें और वहीं करें जो आपको सबसे अच्छा लगता हो। मैंने पत्रकारिता इसलिए चुना, क्योंकि मैं ऐसी जगहों पर होना चाहता था जहां इतिहास गढ़े जाते हों।

स्वतंत्रता आंदोलन के कालखण्ड में राष्ट्र जागरण में समाचार पत्रों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इसलिए हमारे देश में पत्रकारिता व्यवसाय नही, अपितु सांस्कृतिक मूल्यों के उन्नयन और सामाजिक न्याय का आश्वासन है। सूचना और संचार की क्रान्ति के इस युग में प्रेस की स्वायत्तता और अभिव्यक्ति सुरक्षित रहे, किन्तु समाज के प्रति मीडिया की संवेदनशीलता और अधिक अपेक्षित है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (कृत्रिम मेघा) आने वाले समय में पत्रकारिता में क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा। आने वाले भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मीडिया नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। यह ठीक वैसा ही वाक्या है जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने देश को कंप्यूटर व हर हाथ मोबाईल का सपना दिखाया था। जिसके अपने कुछ फ़ायदे व नुक़सान हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी इस क्षेत्र का एक अगला कदम है।

बदलते समय के साथ तकनीक में बदलाव भी आवश्यक है और बदलते समय के साथ इससे अपनाना भी आवश्यक है। कृत्रिम बुद्धिमता आगामी समय की मांग है जो पत्रकारिता को आगे बड़ाने में सहायक सिद्ध होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता आने वाले समय में पत्रकारिता में क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा। बदलते परिवेश में मीडिया की भूमिका में भी बदलाव आया है। एक सशक्त राष्ट्र निर्माण व विकास में मीडिया की अहम भूमिका है तथा लोकतंत्र में मीडिया का प्रमुख स्थान है तथा इसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है।

माना जाता है कि मीडिया सरकार व प्रशासन के बीच सेतु के रूप में कार्य करता है तथा सरकार की विकासात्मक नीतियों व कार्यक्रमों को लोगों तक पहुँचाने में मीडिया की अहम भूमिका रहती है। वहीं इन योजनाओं से मिलने वाले लाभों व योजना की सफलता व कमियों के बारे में फीडबैक देने भी में मीडिया की अहम भूमिका है।

आज जहां समाज और व्यवस्था के हर अंग में नैतिक गिरावट आई है, वहां पत्रकारिता की गिरावट के लिए केवल पत्रकारों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। जहां वे पेशेवर मानकों और नैतिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं, वहीं जनता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एक जीवंत लोकतंत्र और मजबूत मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पत्रकारों और जनता के बीच साझेदारी की आवश्यकता होती है, जो सटीक, विश्वसनीय और सार्थक जानकारी के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करते हैं। केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम चुनौतियों से निपट सकते हैं और एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां पत्रकारिता लोकतंत्र के चौथे स्तंभ और सकारात्मक बदलाव के लिए एक आवश्यक शक्ति के रूप में विकसित हो।

लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में जन-जन की आवाज़ बनकर राष्ट्र एवं समाज को सही दिशा देने वाले सभी पत्रकार बंधुओं को राष्ट्रीय प्रेस दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

आपकी सजग, स्वतंत्र और साहसिक पत्रकारिता राष्ट्रनिर्माण के यज्ञ में आवश्यक आहुति है।