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अनैतिक लोगों से आपको हमें नैतिकता का पाठ पढ़ना पड़ेगा क्या?

सभी कर्मठ व्यक्ति स्वयं की सुविधा और सुरक्षा के बाद अपने परिवार की सुविधा और सुरक्षा का ध्यान रखते हैं देश और समाज की प्राथमिक इकाई परिवार ही है परिवार शुरू होता है माता-पिता से हम देश और मिट्टी को मां कहते हैं क्योंकि वह जन्म देने वाली होती है साथ ही प्रारंभिक पोषण भी देती है भारतीय लोग नारी को प्रथम स्थान पर रखते हैं उसके अपमान पर अपमानित महसूस करते हैं और अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं हम यहां पर चर्चा करेंगे की नरेंद्र मोदी और उसकी सरकार के पिछले 10 सालों में औरतों के प्रति अपराध न केवल बदस्तूर जारी है बल्कि उसमें एक गुणात्मक इजाफा हुआ है वह स्पष्ट होता है सरकार को चलने वाले पार्टी के नेता विधायक और सांसद औरतों के प्रति अपराध में न सिर्फ खुद शामिल है बल्कि सरकार उनके इस घृणित अपराध पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश करती है पहले शासन और प्रशासन की सहानुभूति पीड़ित पक्ष की तरफ होती थी परंतु नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद यह मामला उलट गया है उत्पीड़न करने वाला यदि प्रतिष्ठित व्यक्ति है जैसे कि विधायक सांसद मंत्री तब शिकायत करने वाले को ही दंडित करने की मंशा दिखाई दे रही है बहुत से उत्पीड़क दोष मुक्त हो गए हैं क्योंकि शिकायतकर्ता को ही जेल में डाल दिया गया ऐसा पूर्व गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद के प्रकरण से स्पष्ट होता है उन्नाव विधायक सेंगर के मामले में तो पीड़िता का पूरा परिवार ही नष्ट कर दिया गया उत्तर प्रदेश सरकार अंत तक उसको बचाने का प्रयास करती रही जब मामला केंद्रीय जांच एजेंसी को मिला तब इस विधायक को अदालत से सजा मिल पाई एक लंबी फेहरिस्त है एक तरफ नारी को भोग्या समझकर उसका उत्पीड़न दूसरी तरफ नारी शक्ति वंदन का नाटक दोहरा चरित्र ही दक्षिण पंथियों की विशेषता है वह नाटक करके लोगों को मूर्ख बनाने में सिद्ध हस्त हैं पुलकित अरिया जैसे राक्षस इसी पार्टी में पनप सकते हैं संदर्भ है अंकिता भंडारी की हत्या जो मात्र 19 साल की थी होटल मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद बंनतारा रिसोर्ट में नौकरी मांगती है रिसोर्ट का मालिक और मैनेजर उसको देह व्यापार मे धकेल ना चाहते है हम क्यों कह रहे हैं कि इस तरह के दानव कथित राष्ट्रवादी दल में ही पनप सकते हैं क्यो कि इनका कथित ब्रह्मचर्य ही लड़कियों को वेश्यावृत्ति में लाता है बाहर आम आदमी के बीच अपने को त्यागी पुरूष दिखाने के लिए यह नकली ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और असली जिंदगी में बहुत सी लड़कियों के साथ सोना चाहते है शासन प्रशासन में आर्य परिवार की धमक बिना चुनाव लड़े मंत्री स्तर पर, क्या कारण है आंवला कैंडी बनाने के लिए कारखाना लगाना चाहते हैं तो जंगल में जमीन मिल जाती है लोन और सब्सिडी मिल जाती है परंतु उस जमीन पर चलाया जाता है रिजॉर्ट सरकार सोई रहती है तमाम नियम कानून को अनदेखा कर इसलिए हम कहते है राक्षस पाले जा रहे थे देवभूमि में अपराधी के गिरफ्तार हो जाने पर भी सबूत मिटा दिए गए होना यह चाहिए था कि अपराध स्थल को सील बंद करके सुरक्षा लगानी चाहिए थी इनकी विधायक महोदय ने उस कमरे के ऊपर बुलडोजर चला दिया ताकि सारे सबूत नष्ट किए जाएं और अपने संघ के खास आदमियों को बचाया जाए सबूत मिटाने वाले पर कोई प्राथमिक दर्ज नहीं होती इसके बावजूद यत्र नार्यस्तु पूज्यते का नाटक चलता रहता है मामला केवल उत्तराखंड का नहीं है अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप लगते हैं सांसद जी पर परंतु आरोपीय सांसद जेल नहीं भेजी जाते किसका वरद हस्त था दिल्ली पुलिस जांच में उनको दोषी पाती है अदालत में चार्ज सीट दाखिल करती है सांसद साहब सबको धमकाते हुए छुट्टा घूम रहे कानून व्यवस्था का ऐसा मजाक हमने पहले कभी नहीं देखा परंतु प्रधानमंत्री के हिसाब से जंगल राज बिहार में या बंगाल में है सभी घट रही घटनाओं के पीछे कारण होते हैं और शासन प्रशासन के पंगु होने का कारण दक्षिण पंथ का लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहना है कुछ अंबेडकरवादियों का मानना है कि यह लोग मनु स्मृति को लागू करना चाहते हैं परिवार और समाज में यह हर उस मूल्य को संरक्षित करना चाहते हैं जो नारी विरोधी है वह चाहते हैं लड़कियां प्रेम विवाह पर सोचे भी नहीं लव जिहाद के नाम पर एक झूठा प्रचार करते हैं और जब वह लव जिहाद का विरोध करते हैं तब वह औरत से उसके प्रेम करने के अधिकार को भी निषेध करते हैं हम अपनी बात को विराम देने से पहले उनके पित्र संगठन के प्रमुख मोहन भागवत को उद्धृत करना चाहेंगे “पति और पत्नी एक सामाजिक अनुबंध से बंधे होते हैं और यदि महिला अपने कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रहती है तो उसे छोड़ दिया जा सकता है” असम के सिलचर में वह कहते हैं “पश्चिमी प्रभाव के कारण बलात्कार मुख्य रूप से शहरी भारत में प्रचलित है और महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध होते हैं देश के ग्रामीण इलाकों में ऐसा नहीं होता” 1925 में बने इस कथित राष्ट्रवादी संगठन की शुरू से यह मनसा रही की राजा महाराजा और पुरुष समाज में सम्मानित बना रहे यह संगठन अपने जन्म काल से ऐसा प्रयास लगातार करता रहा है उसके लिए उसके पास एक प्रोपेगेंडा मशीन है जो पहले कान मैं फूंक कर चलती थी अब वह आधुनिक तरीकों से चल रही है झूठ पूरा झूठ यह लोग आधा सच आधा झूठ मिलाकर किसी को भी बदनाम कर सकते हैं वोट मांगने के लिए आज यह आपके दरवाजे पर खड़े हैं आपको ध्यान रखना है कि इन उनके शासन में युवकों को रोजगार नहीं मिला न भविष्य में मिलेगा सुरक्षित तरीके से प्रतियोगात्मक परीक्षाएं कराने में यह असफल रहे परंतु न्याय मांगने पर युवकों को लाठी और वाटर कैनन देहरादून के गांधी पार्क और घंटाघर में इन्होंने दिया यूनिफाइड सिविल कोर्ट के जरिए यह संविधान में दिए गए आपकी प्राइवेसी के अधिकार को भंग करना चाहते हैं इनके कार्यकर्ता आपकी मोरल पुलिसिंग करेंगे अर्थात सबसे ज्यादा अनैतिक लोगों से आपको हमें नैतिकता का पाठ पढ़ना पड़ेगा क्या आप ऐसा पसंद करेंगे।

संजीव घिल्डियाल