Uttarakhand / Rikhnikhal : पलायन की मार झेलता ग्रामीण जन-जीवन, विकास का नाम केवल विज्ञापन में धरातल पर शून्य
राज्य गठन के 20 वर्ष की लम्बी अवधि बीत जाने के बाद भी पुरापाषाणकाल में जीवनयापन कर रहे हैं ग्रामीण। इसमें सबसे बड़ा दोष है पलायन, कुछ ग्रामीण शहरों को चले तो गए मगर आज भी अपने गाँव की जड़ों से जुड़ना चाहते हैं। इतनी बड़ी पीड़ादायक अवधि बीत जाने के बाद भी पेयजल संकट से जूझ रहा है कोटड़ी पट्टी पैनो रिखणीखाल। गॉंव का इतिहास 1585 का हैं जब गाँव में कुछ प्रवासियों ने राजस्थान के बीकानेर से आकर अपना आशियाना बनाया था, कोटड़ी गॉंव का इतिहास इस लिए भी खास हैं क्योंकि कोटड़ी के रावत परिवार बीकानेर के कोटड़ी गाँव से ही आये थे जो आज भी बीकानेर में मौजूद हैं। विस्थापित ग्रामीणों की मूल समस्या पेयजल की थी इसलिए सैकड़ों वर्ष पूर्व कुछ परिवार कोटड़ी गाँव बीकानेर से पट्टी पैनो रिखणीखाल आये और उन्होंने यहां अपना एक गाँव बसाया था जिस का नाम भी कोटड़ी रखा गया, पर इन ग्रामीणों को यह पता नही था कि दुर्भाग्य इन का पीछा यहाँ भी नही छोड़ेगा। जिस पानी की किल्लत से ये लोग पहाड़ों में आये उसी से रोजाना दोचार हो रहे हैं अब आलम यह हैं कि 80% गाँव खाली हो चुका हैं। गाँव में हर प्रकार की सुविधाएं मौजूद हैं फिर भी पेयजलापूर्ति पर कोई ठोस कार्य नही हुआ है।
वर्ष 2000 तक गॉंव के 92% युवा भारतीय सेना में कार्यरत थे वर्तमान में यह 80% का आंकड़ा हैं। मगर गाँव के जिस व्यक्ति की नौकरी सरकारी हो उसका परिवार गाँव में नही रहता जिसका हर्जाना गाँव भुगत रहा है जागरूक शिक्षित व्यक्तियो ने सब से पहले पलायन किया जिस से मूलभूत सुविधाओं हेतु आवाज उठाने वाला कोई नही रहा। देश के लिए सरवोच्च बलिदान देने वालों में 9 जवान कोटड़ी गाँव से थे चीन व पाकिस्तान के साथ युद्ध में 8 जवानों ने अहम योगदान दिया जिस में से 2 को सहादत मिली। एक जमाने में 9 जवानों ने आजाद हिंद फौज की ओर से देश की आजादी में सहयोग दिया था। गोरिला युद्ध जैसी लड़ाइयां लड़ चुके अनेकों बुजुर्ग आज भी गाँव में जैसे-तैसे गुजरबसर कर रहे हैं। गाँव में पेयजल आपूर्ति होने से इतनी भयानक स्थिती पैदा हो चुकी हैं कि प्रवासियों ने गाँव आना बंद कर दिया है वरना सर्दियों व गर्मियों की छुट्टी में गाँव गुलजार रहता था। विगत वर्ष करोना काल के शुरुवाती दिनों में प्रवासियों ने गाँव आने से इस लिए इनकार कर दिया कि गाँव आकर तो मौत निश्चित हैं क्यों कि पानी नही हैं। घटती गाँव की जनसंख्या से गांव का 91% खेत बंजर हो चुके हैं। नहरों में सिंचाई का पानी नही घर-घर नल तो लग चुके हैं पर नलों की अखरि जांच के लिए गाँव में पानी नही है। 10 वर्ष पूर्व कोटड़ी सैंण बाजार में भूमिगत ट्यूबवेल की योजना बनी थी जिसका कार्य अधर में लटका हुआ हैं। ग्रामसभा के अंतर्गत कन्या माध्यमिक विद्यालय कोटड़ी व प्राथमिक विद्यालय कोटड़ी आते हैं इन दोनों विद्यालयों की छात्र संख्या 210 हैं जिन के लिए अपराह्न भोजन की व्यवस्था करना भोजन माताओं के लिए कारगिल युद्ध समान रहता हैं। गाँव में कोई भी कर्मचारी इस लिए कमरा किराये पर नही लेता कि पानी की किल्लत हैं। गाँव में पशुचिकित्सालय का होना बड़े फक्र की बात हैं मगर पानी की किल्लत से अनेकों कार्य ठप पड़ जाते हैं। वर्तमान की कुल आबादी का 90% सिर्फ रात दिन पानी भरने में व्यवस्त रहता हैं जिन की आजीविका का संकट गहराता चला जा रहा हैं। खेती प्रधान कोटड़ी गाँव अब इतिहास के पन्नों में दफन होने की कगार पर है। सड़क, बिजली, स्कूल, चिकित्सालय अनेकों सुविधाओं के सामने पेयजलापूर्ति अकेले ग्रामीणों का हौंसला तोड़ रही हैं।
1.20 करोड़ की लागत से डबराड़ से पानी की योजना तो स्वीकृत हुई हैं मगर अभी टेंडर नही हुआ। यह ग्रामीणों के अथक प्रयासों का नतीजा हैं कि जलनिगम कोटद्वार को 4 बार NOC देने के बाद भी विश्वास जताते हैं कि अब कुछ अच्छा सुनने को मिलेगा, तब कुछ अच्छा सुनने में आएगा। अनेकों आस्वशासन के मध्य जिला अधिकारी पौडी ने 17 मार्च को पुनः आस्वशासन दिया हैं कि अप्रैल प्रथम सप्ताह में आप के गाँव के लिए पानी की योजना का टेंडर पर कार्य होगा तब तक आप कोई धरना प्रदर्शन न करें। राजस्थान के बीकानेर से रिखणीखाल की यात्रा कितनी कष्टदायक रही होगी इसका अहसास हमें तब होता हैं जब ग्रामीण पानी लेने छड़ियाणी व बड़ियार गाँव जाते हैं। कुछ वर्षों से जल निगम कोटद्वार ने पानी का टैंकर गाँव वालों के लिए लगाया हैं पर ग्रामीण उस पानी का उपयोग सिर्फ मवेशियों के लिए करते हैं। क्योंकि वह पानी अपने साथ अनेकों रोग लेकर आता हैं द्वारा के समीप चुने पत्थर का यह पानी महिलाओं बच्चों व बुजुर्गों के लिए हानिकारक हैं। अनेकों बैक्टीरिया से लोगों में पीलिया जैसे रोगों के लक्षण मिले हैं इसलिए ग्रामीणों ने टैंकर का पानी पीने योग्य नही समझा, उम्मीद है सरकार गाँव की परेशानी समझेंगी और इस पर तुरंत कार्य करेगी।
देवेश आदमी