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एक उम्मीद की किरण बनी प्रोजेक्ट हेल्प इंडिया (Project Help India) दस वर्षों से लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने का कार्य कर रही है

प्रोजेक्ट हेल्प इंडियाकी शुरुवात 2011 में अमित समूएल और उनकी पत्नी डेज़ी समूएल ने उत्तराखंड के छोटे से खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र कोटद्वार (ज़िला पौडी गढ़वाल) में की गयी।

Mrs. Daisy Samuel , Mr. Amit Samuel

प्रोजेक्ट हेल्प की शुरुवात कूड़ा करकट बीनने वाले एवं भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा और अच्छा स्वस्थ देने के क्षेत्र में की, सबसे पहले कोटद्वार के काशीराम इलाके में स्थित स्लम बस्ती में जा कर 15 बच्चों के साथ जो कूड़ा बीनते थे और भीख मांगते थे के लिए सबसे पहला एजुकेशन सेंटर शुरू किया ,और बच्चों को भिक्षा से शिक्षा की ओर लाने का कार्य प्रारंभ किया, वर्तमान में प्रोजेक्ट हेल्प इंडिया उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब में कार्य कर रहा है और लगभग 400 बच्चों को शिक्षित कर रहा है। ये बच्चे प्रोजेक्ट हेल्प इंडिया द्वारा संचालित एजुकेशन सेंटर्स में आ कर प्रशिक्षित अध्यापको द्वारा शिक्षा ग्रहण करते हैं।

यहां पर सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं गंभीर बीमारी में इलाज कराया जाता हैं, बच्चों को न्यूट्रिशनल फ़ूड के अलावा समय-समय पर ड्रेस, स्टेशनरी, टॉयज, साबुन, हेयर आयल, खेल का सामान उपलब्ध कराया जाता है ताकि ये बच्चे अपने आप को भी मुख्य धारा का अभिन्न अंग समझें, प्रोजेक्ट हेल्प इंडिया द्वारा नशा मुक्ति को ले कर भी हर संभव प्रयास किये जा रहे है, इनका प्रोजेक्ट है 2000 महिलाओ के लिए महिला सशक्तिकरण का कार्य कर रही है एवं महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु विभिन कार्यक्रमो का आयोजन करती है जिसके अंतर्गत महिलाओं एवं युवतियों के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र एवं सिलाई केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।

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2019 में उत्तराखंड के वर्तमान DGP श्री अशोक कुमार द्वारा हरिद्वार में संचालित प्रोजेक्ट भिक्षा नही शिक्षा दो अभियान में प्रोजेक्ट हेल्प इंडिया द्वारा उत्तराखंड पुलिस को मदद की गयी और 270 बच्चों को जो भीख मांगते थे स्कूल के साथ जोड़ा गया। प्रोजेक्ट हेल्प इंडिया द्वारा कोटद्वार के झूला बस्ती में दिव्यांग बच्चों के लिए भी एक केंद्र संचालित हो रहा है जिसमे 15 बच्चे अध्यन करते हैं। समय-समय पर संस्था द्वारा ट्रेफ़िक, वातावरण, नशा मुक्ति, मोबाइल एडिक्शन, आदि विषयों पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।


Covid-19 लॉक डाउन में संस्था द्वारा पूरे 4 महीने प्रतिदिन 600 ज़रूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया और 300 परिवारों को राशन उपलब्ध कराया।
हमारा प्रयास ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों के लिए कार्ये करने का है जिसके लिए हमे अधिक से अधिक लोगों की मदद की आवश्यकता है।