Uttarakhand / Ramnagar : कोविड-19 की मार के बाद ओवर-रेटिंग की मार भी झेल रही है जनता
कोविड ने महामारी का भयानक रूप ले लिया है, फिर भी कुछ दुकानदारों ने और थोक विक्रेताओं ने दैनिक वस्तुओं की काल बाजारी शुरू कर दी है। इस महँगी ख़रीद-फरोख्त से एक तरफ जनता महामारी से मार रही है, दूसरी तरफ महँगाई से।
रामनगर से एक मामला सामने आया है जिसमे RTI अधिवक्ता शीश पाल सिंह ने शिकायत भी की है।
शिकायत में उन्होंने बताया है कि “दैनिक आवश्यक वस्तुएँ जैसे सरसों तेल, रिफाइंड, चीनी, मसाले आदि इस महामारी के काल में दुकानदार MRP से अधिक रेट में दे रहे है। जब दुकानदारों से पूछा जाता है इतना महँगा क्यों दे रहे हो तो वो कहते है कि ऊपर से थोक विक्रेता भी महँगा दे रहे है। थोक विक्रेताओं द्वारा माल को गोदाम में छुपाकर काला बाजारी की जा रही है”।
उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस मामले में कठोर कानून बनाये जाए और काला बाजारी करने वालो के ऊपर कार्यवाही भी की जाए।
अधिकतम खुदरा मूल्य एक अधिकतम मूल्य है जो भारत में उपभोक्ताओं से प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार वसूला जा सकता है। उपभोक्ता वस्तुओं (उत्पादन और अधिकतम खुदरा मूल्य की छपाई के लिए अनिवार्य) अधिनियम, 2006 के तहत, उपभोक्ताओं को उत्पादों की पैकिंग पर उल्लिखित MRP से अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता है।