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Uttar Pradesh / Saharanpur : रातों की नींद उड़ा दी, गलियों के आवारा कुत्तों नेभूख से बिलबिलाये कुत्ते हो रहे हैं हमलावर, बेबस हुए नगरवासी

शहरों की गलियों में जब अंधेरा होता है। आधी रात के बाद जब लोग गहरी नींद में होते हैं। तो अचानक से सन्नाटे को चीरती हुई कुत्तों के भोंकने की आवाज सुन हड़बड़ा कर उठ जाते हैं। 2 या 3 घंटे बाद जब फिर गहरी नींद में होते हैं। तो पुनः कुत्तों के भौंकने की आवाज उनकी नींद उड़ा देती है। बंद कमरे में सोया व्यक्ति उठ कर बाहर जाए भी तो कैसे, गली में भोंक रहे कुत्तों को भगाने के लिए उसे घर के सारे दरवाजे खोल कर बाहर आना पड़ता है। कुत्तों के भोंकने का यह सिलसिला इन दिनों पूरी रात चलता है। कमोवेश यह स्थिति महानगर की अधिकांश गली, मोहल्ले की है। कोरोनावायरस के कहर के चलते लॉकडाउन लगा हुआ है। लोगों को घर से निकलने पर रोक है। लोगों ने कुत्तों को खाने पीने की वस्तु देना बंद कर दिया है। नगर निगम की सफाई व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त तरीके से चलते अब कूड़े के ढेर कहीं नजर नहीं आते। परिणाम स्वरूप कुत्तों को खाने के लाले पड़ गए हैं। पहले लोग कहीं भी कचरा,जूठन और खाद्य पदार्थ फेंक देते थे। इससे कुत्ते अपना पेट भर लेते थे। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। सफाई व्यवस्था होने के कारण सड़कों पर खाने के लिए कुत्तों को कुछ भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में भूखे कुत्ते लोगों की तरफ लपक रहे हैं । सामान्यतः कुत्ते अपने अपने क्षेत्र में ही विचरण करते हैं। लेकिन अब मजबूरन खाने की तलाश में दूसरे इलाकों में घुसपैठ कर रहे हैं।  दूसरे इलाकों में पहुंचने पर इनमें गुट्टीय यह संघर्ष होता है। कुत्ते झुंड में लड़ते नजर आते हैं। भोजन की तलाश और आपस में संघर्ष की वजह से वे और आक्रोशित हो रहे हैं। परिणाम स्वरूप लोगों को निशाना बना रहे है। और रात में भूख से बेहाल हुए आवारा कुत्ते भोंक भोंक कर लोगों नींद उड़ा रहे हैं। नींद पूरी ना मिलने के कारण कई लोग अवसाद में आ गए हैं। पिछले साल की अपेक्षा आवारा कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। तीन साल पहले आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक के मद्देनजर सहारनपुर नगर निगम ने  इनकी संख्या पर अंकुश लगाने के लिए नसबंदी का अभियान शुरू किया था। आवारा कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी करने जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को दी गई थी। कंपनी के एक्सपर्ट लोगों द्वारा जाल के जरिए आवारा कुत्तों को पकड़ एक वाहन में ले जाकर उनकी नसबंदी का काम किया गया था। किन्ही कारणों से इस योजना पर रोक लग गई। परिणाम स्वरूप महानगर में आवारा कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो गई। शीघ्र ही यदि इनकी बढ़ती हुई संख्या पर रोक ना लगाइ गई तो समस्या नगर वासियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है। लॉकडाउन के चलते जब लोग घर में रह रहे हैं। तो गली में इक्का-दुक्का निकलने वाले लोगों पर यह कुत्ते हमलावर हो रहे हैं। रात में दूर-दूर तक कुत्तों के भौंकने की आवाज लोगों को चौन से सोने भी नहीं देती। क्योंकि महानगर में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है । यदि समय रहते इन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है। एक ओर जहां नगर निगम इस समस्या को नजरअंदाज कर रहा है। वहीं दूसरी ओर जनप्रतिनिधि भी चुप्पी साधे हुए हैं। आम आदमी बेबस है,मजबूर है। यह समस्या महानगर के आम आदमी से जुड़ी हुई है। लेकिन फिर भी इस ज्वलंत समस्या से जूझ रहे सहारनपुर के नागरिक खामोश है और उनकी निगाहें नगर निगम पर टिकी है। नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों की नसबंदी अभियान पुनः शुरू करना ही एकमात्र विकल्प है।