Uttar Pradesh / Mathura : साहब….यहां तो अस्पतालों में भूसा भरा है ! कोरोनाकाल में ग्रामीणों को कहल रही चिकित्सा सुविधाओं की कमी
साहब…यहां तो अस्पतालों में भूसा भरा है। यह एक दो नहीं, दर्जन भर नहीं, अधिकांश ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की हकीकत है। ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं की कमी खल रही है।
कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हुईं तमाम बातों केे बीच ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के पहलू को छुपा लिया गया है। गांवों में कोरोना का लगातार मिल रहेे मरीजों और उन्होंने मिलने वाले उपचार की तो बात हुई लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में ध्वस्त पडे चिकित्सा ढांचे पर इस आपदा में भी किसी का ध्यान नहीं गया। राया क्षेत्र के नगोड़ा में की आबादी दो हजार से अधिक है। वहीं गांव कारब ग्राम पंचायत की वोटिंग ही सात हजार से अधिक है। सौंख के गांव बछगांव भी बडी ग्राम पंचायत है। गांव कारब में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र जिस बिल्डिंग में चल रहा था उसे तोड कर ग्राम पंचायत का कार्यालय बनाया जा रहा है। अब यहां चिकित्सालय जैसी कोई जीच नहीं है। इसी तरह गांव नगोड़ा में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। जिसकी हालत दयनीय है। गांव नगौड़ा में लाखों रुपए की लागत से बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से अपनी बदहाली पर अंशू बहा रहा है।
स्वास्थ्य केन्द्र पर वर्षों से कोई चिकित्सक नहीं पहुंचा है। बाउंड्रीवाल टूटी हैं। बिल्डिंग में कई कक्ष हैं, कक्षों पर ताले लगे हैं लेकिन कक्षों के दरवाजे गल गये हैं। छत का प्लाट गिर गया है। बिल्डिंग का उपयोग स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा है। इसे देख कर ग्रामीणों ने कक्षों में उपले भर दिये हैं तो किसी ने भैंस बांधना शुरू कर दिया है। अब तक सब ऐसे ही चल रहा था। कोरोनाकाल में ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाओं की कमी खल रहा है। किसी के बीमार होने पर वह शहर जाने से कतरा रहे हैं और गांव में कोई सुविधा नहीं है। यह हाल अधिकांश ग्राम पंचायतों का है जहां स्वास्थ्य केन्द्र हैं। विभाग चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। जब राया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ तुलाराम से जानकारी करनी चाही तो उन्होंने साफ कह दिया ये उनके क्षेत्र में नहीं आता। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी से लेकर सीएमओ तक कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।