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PMGPSY प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भृष्टाचार का गढ़।

कहते हैं विकास सड़क के रास्ते गाँव आता हैं और यदि सड़क की गुणवत्ता सही न हो तो विकास के टायर पंचर होना स्वभाविक हैं। मैं बात कर रहा हूँ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की यह महत्वाकांक्षी योजना किस तरह चल रही हैं और अधिकारी जनप्रतिनिधि ठेकेदार किस तरह इस योजनक के तहत फलफूल रहे हैं यह धरातली खबर आप को पैटा रहा हूँ। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सुरवात भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी जी की सौजन्य से इस सोच के साथ किया गया था कि ग्रामीण यातायात से बंचित न रहे। ग्रामीण भारत व शहरी भारत के मध्य दूरी कम करने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया था। किंतु कालांतर का वह दौर वर्तमान में गले की हड्डी बन गया।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बने ग्रामीण क्षेत्र में औसत से भी नीचे स्तर की गुणवत्ता का हैं। जिस में सर्वेयर की चूक से कटिंग के मानक ताक पर रखे गए हैं। कार्यपूर्ति के लेटलतीफे डामरीकरण की गुणवत्ता ठेकेदारों को समय पर भुगतान न होना आम बात हैं।

जानकारों की मानें तो PWD व PMGPSY का खेल अब मौसेरे भाई जैसा हो गया हैं किंतु PMGPSY आज भी उन्नीस ही हैं। PMGPSY में डाउन पेमेंट का नाटक सड़कों की गुणवत्ता को खराब कर रहा हैं। 70 से 80% ठेके की बोली जब गिर जाती है तो गुणवत्ता की उम्मीद करना बेईमानी हैं। अभियंता,बाबू,जनप्रतिनिधि का खर्चा कागजी कार्यवाही 2% की FD सहित अनेकों आलोचनाओं को उसी कार्य में झेलना हैं। यह विभाग भी जनता हैं कि लागत क्या हैं और ठेकेदार पैसा कहां से बचाएगा। PMGPSY जब किसी सड़क की योजना को अमलीजामा पहनाती हैं तो शिलान्यास के बाद अधिकारी गायब रहते हैं। अनेकों सड़कें अब चलने लायक नही हैं। डामरीकरण में तेल रोड़ी जीरा सब बचाया जाता हैं जिस से सड़क महीनाभर नही टिकट फिर अगले वर्ष डामरीकरण का टेंडर। कुछ मामले यह भी आरहे हैं कि ग्रामीणों की भूमि अधिग्रहण कर सड़कें अधूरे काटे गए हैं कारण अव्यवस्थित कार्यप्रणाली सर्वे में हुई चूक NOC में जल्दबाजी कुछ ग्रामीणों की अनुमति कुछ की असहमति अनेकों कारण जिस से पैसा समय व ऊर्जा का बर्बाद होना। ग्रामीणों की उपजाऊ भूमि बंजर बना अधिकारी देहरादून मौज मार रहे हैं। सड़क काटते वक्त ग्रामीणों के पानी के स्रोत खत्म कर दिए जाते हैं। मलवा डम्पिंग जॉन में न डाल कर ग्रामीणों के खेतों में डाला जाता हैं जिस से टकराव उत्तपन होता हैं और कार्य अधूरा रह जाते हैं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाओं के तहत अधिकारियों द्वारा किसी खास व्यक्ति को व्यक्तिगत फायदा भी मुख्य कारण बने हैं। जिस से गाँव के समाजिक क्षेत्र में हिस्से बन गए हैं। PMGPSY की लगातार कार्य गुणवत्ता के खबरें अखबारों में देखे जा सकते हैं अनेकों समाजिक संगठन सामाजिक व्यक्ति विभाग पर आरोप लगा रहे हैं किंतु आज तक कोई ठोस कार्यवही नही हुई हैं। उम्मीद हैं जल्द कोई खबर लेगा और चुप्पी तोड़ेगा।

देवेश आदमी