100 करोड़ वैक्सीनेशन पूरा होने का जश्न या गंगा में बही लाशों का?
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उनकी सरकार जिस तरीके से आए दिन बेशर्मी के नए अध्याय लिख रही है उसी की कड़ी में एक और कारनामा जुड़ रहा है और वह है 100 करोड़ वैक्सीनेशन पूरा होने का जश्न। यह वही प्रधानमंत्री हैं जो जिस समय कोरोना की विभीषिका अपने चरम पर थी तो किसी को भी कई महीनों तक नजर नहीं आए यह वही भाजपा सरकार है जिनके मिस मैनेजमेंट के चलते लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई। आंकड़ों में भयंकर हेराफेरी कर मरने वालों की संख्या मात्र 4 से 4.5 लाख दिखाई गई जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या लगभग 40 लाख के आसपास आंकी गई । इतनी भारी मात्रा में जनहानि होने के बाद आखिर मोदी जी किस बात की पार्टी मनाना चाह रहे हैं।
गंगा में तैरती हुई लाशों के दृश्य आज भी आम जनमानस की आंखों से ओझल नहीं हुए हैं आज भी ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों के रिश्तेदारों का दर्द कम नहीं हुआ है।
हमें याद है जब पूरे विश्व में हर देश के प्रधानमंत्री अपने देश में कोरोना से लड़ने की तैयारियों में जुटे हुए थे तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री श्री नरेंद्र मोदी जी बंगाल चुनाव के लिए भीड़ जुटाने में लगे हुए थे आंकड़े पेश करने में माहिर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑक्सीजन से हुई मौतों का ब्यौरा मांगे जाने पर यह बताया की ऑक्सीजन की कमी से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई इतनी बेशर्मी की कम से कम किसी देश की सरकार से उम्मीद नहीं की जाती है इन्हीं सब का नतीजा है की आज विदेशों में मोदी जी को वह सम्मान नहीं मिल रहा जो कभी मिला करता था। मोदी जी के हालिया यूएस दौरे में जिस तरह से मोदी जी को नजरअंदाज किया गया यह स्पष्ट प्रमाण हैं की भले ही गोदी मीडिया भारत में मोदी जी के नाम की जय जय कारे लगाएं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी जी की इमेज को बहुत गहरा झटका लगा है। अगर सही मायने में मोदी जी के पिछले 7 सालों का आकलन किया जाए तो यह साफ तौर पर देखा जा सकता है की मोदी जी और उनकी सरकार ने सिर्फ अपनी इमेज बिल्डिंग के अलावा जमीनी स्तर पर कार्य नहीं किया है या इसे दूसरे शब्दों में बोला जाए तो मोदी सरकार ने जो भी जनता से वादे किए थे वह पूरे करने में असमर्थ रहे मोदी जी की अदूरदर्शित के कारण जनता को कई बार पूर्व में भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है चाहे वह नोटबंदी का दौर हो या पिछले डेढ़ साल से चल रहा किसान आंदोलन हो।
अगर सिर्फ वैक्सीनेशन प्रोग्राम की ही बात की जाए तो मात्र 21% लोग ही ऐसे हैं जिनको डबल डोज लग चुकी है तो आखिर जश्न किस बात का पूर्व में भी सरकारों द्वारा मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाए गए हैं लेकिन अपनी खोखली उपलब्धियों का ढिंढोरा आज तक किसी सरकार ने नहीं बजाया
सत्यनवेशी