क्या वास्तव में देश में अमृतकाल चल रहा है
कहने को तो देश अमृतकाल के दौर से गुजर रहा है… जहां डीजे लाउडस्पीकर और बुलडोजर सियासी ट्रेंड में हैं…कहीं मस्जिदों से लाउड स्पीकर उतारे जा रहे हैं…तो कहीं मस्जिदों के आगे ही तेज आवाज में लाउड स्पीकर बजाए जा रहे हैं… रामनवमी हो या गणतंत्र दिवस लाउड स्पीकर चर्चा में रहता है… जानबूझकर एक धर्म विशेष बाहुल्य इलाकों से धार्मिक रैलियां निकाली जाती हैं… जाना होता है मंदिर मगर भड़काऊ नारे लगाते हुए मस्जिद की गली पहुंच जाते हैं….फिर भड़कते हैं दंगे… लगाई जाती है आग… राम के साथ रहीम का घर भी जल जाता है… इन सबको खुला समर्थन मिलता है पुलिस और एक खास पार्टी के विधायक और सांसदों का…इन दंगाइयों को आवाज मिलती है न्यूज चैनलों के दलाल एंकरों और मालिकों से… ।
अमृतकाल की इन तमाम यशस्वी कहानियों में देश का युवा भूल चुका है कि इसे प्रभु की आस्था नही बल्कि उद्दंडता कहते है…सत्ता का अहंकार कहते हैं… अमर्यादित भीड़ की अनर्गल भाषा धर्म के नहीं सत्ता के सारथी होते है…सत्ता के रथ पर बैठे सारथी तुम्हें भेड़ बकरियों की तरह हांक रहे हैं और तुम हांके जा रहे हो…सवा सौ करोड़ हिन्दुओं को महज 20 करोड़ मुसलमानों से डराया जा रहा है… शुक्र मनाओ कि रामायण महाभारत में मुसलमानों का कोई रोल नहीं रहा वरना ये धूर्त मकार नेता द्रोपदी का चीरहरण और सीता के किडनेप में भी मुसलमानों का हाथ बता देते और उसे जस्टिफाई करने के लिए किस्से कहानियों वाले एक नए ग्रंथ की रचना भी कर डालते… ।
यूपी से हुई बुलडोजर की शुरुआत अब मध्यप्रदेश की सियासत तक पहुंच चुका है ….किसी भी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति कार्यभार संभालने से पहले संविधान की शपथ लेते हुए कहता है कि मैं अलाणा सिंह फलाणा कुमार… ईश्वर की शपथ लेता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा…मैं भय या पक्षपात अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय /कार्य करूँगा… आज संवैधानिक पदों पर बैठे शीर्ष नेताओं की यह शपथ महज माइक और कागज के टुकड़े तक ही सीमित रह गयी है …मात्र आरोप पर ही सब कुछ बुल्डोजर ही तय करेगा तो फिर अदालत की क्या जरूरत है? वकीलों की क्या जरूरत है? कानून की क्या जरूरत है? जज की क्या जरूरत है? तब तो सारे जजों को बुल्डोजर की एजेंसी दे दी जाए… वकीलों को बुल्डोजर का ऑपरेटर बना दिया जाए और काॅलेज विश्विद्यालय से विधि की पढाई और केंद्र सरकार से कानून मंत्रालय ही समाप्त कर बुलडोजर मंत्रालय खोल दिया जाए…वो दिन दूर नहीं जब पुलिस महज आरोप पर ही गोली मार देगी…इंसाफ अदालत कानून संविधान सब धरा का धरा रह जायेगा ।
धीरेंद्र गुसाईं