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लोकतंत्र, भ्रष्टाचारमुक्त, कृषि प्रधान देश, ये शब्द मात्र ही रह गए है

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इसलिए इसका भ्रष्टाचार-मुक्त होना बहुत जरूरी है। भ्रष्टाचार ने दुनिया के सारे लोकतंत्रों को खोखला कर रखा है, जो चिंताजनक हैं। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था कि ‘साम्यवाद कभी भी ऐसे देश में सत्ता में नहीं आया है, जो भ्रष्टाचार या युद्ध या दोनों से बर्बाद न हुआ हो।

उत्तराखंड पर तकरीबन 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और कर्मचारियों को सैलरी देने समेत अन्य खर्चों के लिए सरकार को हर वित्तीय वर्ष में कर्ज लेना पड़ता है। उधर जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद हो जाने से भी राज्य को पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इसी वजह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई विभागों को फिजूलखर्ची रोकने के निर्देश दिए हैं।

बताया जा रहा है कि जैविक खेती को लेकर विभिन्न देशों की बेस्ट प्रैक्टिस को देखने के लिए प्रदेश के विधायकों का एक दल विदेश दौरे पर है। वहीं विपक्ष का कहना है कि जिस जैविक खेती के गुर सीखने के लिए यह दल विदेश जा रहा है, वह उत्तराखंड में बड़े स्तर पर की जाती है। वहीं, सिक्कम और लक्ष्यदीप ऐसे राज्य हैं, जहां देश में सबसे ज्यादा जैविक खेती होती है। विपक्ष के मुताबिक, सवाल यह है कि जब अपने देश में ही जैविक खेती सीखने का प्लेटफार्म है तो विदेश दौरे का क्या मतलब बनता है? हालांकि, कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि यह एक रूटीन प्रक्रिया है और जर्मनी में जैविक खेती को लेकर एक बड़ा सम्मेलन हो रहा है, जिसमें प्रदेश को प्रतिनिधित्व करना है, साथ ही कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा भी की जानी है।

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कृषि मंत्री अपने दल के साथ जर्मनी, इटली, नीदरलैंड समेत चार देशों का भ्रमण पर हैं। इस दौरे पर कृषि मंत्री गणेश जोशी के साथ बीजेपी विधायक राम सिंह कैड़ा, सुरेश गड़िया, प्रदीप बत्रा, रेनू बिष्ट और कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी और हरीश धामी जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह दल लगभग 12 दिनों तक विदेश दौरे पर रहेगा।

मैं जिस प्रदेश से आता हूँ, उसे “देवभूमि” उत्तराखंड कहा जाता है अर्थात् “देवताओं की धरती”। यहां की जो खेती है वह पूर्णतया महिलाओं पर आधारित है अर्थात महिला श्रमिकों पर। परन्तु नियति देखिए जैविक खेती के गुर सीखने के लिए कौन विदेश दौरे पर हैं ?

इससे अच्छा तो तब होता जब ये अपनी विधानसभा से 50 महिला काश्तकारों को प्रशिक्षण के लिए भेजते। अब इस दल के हर सदस्य को लगभग अपने कार्यकाल का आधा समय तो खेती पर खर्च करना चाहिए, क्यूंकि यह सब आपके-हमारे खर्च पर ही तो हो रहा है।

एक समय था, जब नेता पिता का पर्याय था। लेकिन अब नेतृत्व व्यवसायी बन गया। पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल जे कलाम जी ने एक बार कहा था कि अगर किसी देश को भ्रष्टाचार- मुक्त और सुंदर मन वाले लोगों का देश बनाना है तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये कर सकते हैं। वह है -पिता, माता और गुरु।

राजकुमार सिंह परिहार