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कोविड -19 पर मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत के दौरान पीएम का उद्घाटन

नमस्कार साथियों,

Unlock-One को दो सप्ताह हो रहे हैं। इस दौरान जो अनुभव आए हैं, उसकी समीक्षा, उन पर चर्चा आवश्यक है। आज की इस चर्चा में, मुझे भी आपसे काफी कुछ जानने का अवसर मिलेगा, समझने का अवसर मिलेगा। आज की चर्चा के निकले Points, आपके सुझाव, देश को आगे की रणनीति बनाने में मदद करेंगे। किसी भी संकट से निपटने के लिए Timing का बहुत महत्व होता है। सही समय पर लिए गए फैसलों ने देश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में बहुत मदद की है।

भविष्य में जब कभी भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई का अध्ययन होगा, तो ये दौर इसलिए भी याद किया जाएगा कि कैसे इस दौरान हमने साथ मिलकर काम किया, सहकारी संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। जब कोरोना दुनिया के अनेक देशों में चर्चा का विषय भी नहीं बना था, तब भारत ने इससे निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं, फैसले लेने शुरू कर दिए थे। हमने एक-एक भारतीय की जिंदगी को बचाने के लिए दिन-रात मेहनत की है। 

बीते हफ्तों में हजारों की संख्या में भारतीय, विदेश से अपने वतन वापस लौटे हैं। बीते हफ्तों में, लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गांवों में पहुंचे हैं। रेल-रोड, एयर-सी, सारे मार्ग खुल चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद, हमारी इतनी जनसंख्या होने के बावजूद,

भारत में कोरोना संक्रमण उस जैसा विनाशकारी प्रभाव नहीं दिखा पाया, जो उसने दूसरे देशों में दिखाया है। दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स, हेल्थ के जानकार, लॉकडाउन और भारत के लोगों द्वारा दिखाए गए अनुशासन की आज चर्चा कर रहे हैं।

आज भारत में रिकवरी रेट 50 प्रतिशत से ऊपर है। आज भारत दुनिया के उन देशों में अग्रणी है जहां कोरोना संक्रमित मरीज़ों का जीवन बच रहा है।कोरोना से किसी की भी मृत्यु दुखद है। हमारे लिए किसी एक भारतीय की भी मृत्यु असहज कर देने वाली है। लेकिन ये भी सच है कि आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्यु हो रही है।

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अब अनेक राज्यों के अनुभव आज आत्मविश्वास जगाते हैं कि भारत कोरोना के इस संकट में अपने नुकसान को सीमित करते हुए आगे बढ़ सकता है, अपनी अर्थव्यवस्था को तेजी से संभाल सकता है। बीते दो हफ्ते के अनलॉक -वन  ने हमें एक बड़ा सबक ये भी दिया है कि अगर हम नियमों का पालन करते रहे, सारे दिशानिर्देशों को मानते रहे, तो कोरोना संकट से भारत को कम से कम नुकसान होगा।

इसलिए, मास्क या फेस कवर पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाना आवश्यक है। बिना मास्क या फेसकवर के घर से बाहर निकलने की अभी कल्पना करना भी सही नहीं है। ये जितना खुद उस व्यक्ति के लिए खतरनाक है, उतना ही उसके आसपास के लोगों के लिए भी।

इसलिए, दो गज की दूरी का हमारा मंत्र हो, दिन में कई-कई बार 20-20 सेकेंड के लिए साबुन से हाथ धोना हो, सेनीटाइजर का इस्तेमाल हो, ये सभी बहुत गंभीरता से किए जाने चाहिए। खुद की सुरक्षा के लिए, परिवार की सुरक्षा के लिए, विशेषकर घर के बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए ये बहुत जरूरी है।

अब तक लगभग सारे ऑफिसेस खुल चुके हैं, प्राइवेट सेक्टर में भी लोग ऑफिस जाने लगे हैं, बाजारों में, सड़कों पर भीड़ बढ़ने लगी है, तो ये सारे उपाय ही कोरोना को तेजी से फैलने से रोकने में मददगार होंगे। थोड़ी सी भी लापरवाही, ढिलाई, अनुशासन में कमी कोरोना के खिलाफ हम सभी की लड़ाई को कमजोर करेगा।

हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना है कि हम कोरोना को जितना रोक पाएंगे, उसका बढ़ना जितना रोक पाएंगे, उतना ही हमारी अर्थव्यवस्था खुलेगी, हमारे दफ्तर खुलेंगे, मार्केट खुलेंगे, ट्रांसपोर्ट के साधन खुलेंगे, और उतने ही रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। आने वाले दिनों में अलग-अलग राज्यों में आर्थिक गतिविधि का जिस तरह विस्तार होगा, उससे मिले अनुभव दूसरे राज्यों को भी बहुत लाभ पहुंचाएंगे। बीते कुछ हफ्तों के प्रयासों से हमारी अर्थव्यवस्था में हरी टहनियाँ  दिखने लगे हैं। पावर कंज़प्शन जो पहले घटता जा रहा था, वो अब बढ़ना शुरू हुआ है। इस साल मई में फर्टीलाइज़र की सेल बीते साल मई की अपेक्षा दोगुनी हुई है।

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इस बार खरीफ की बुआई बीते साल की अपेक्षा करीब 12-13 परसेंट ज्यादा हुई है। दो पहिया की मांग  और उत्पादन  लॉकडाउन से पहले के स्तर की करीब-करीब 70 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।डिजिटल भुगतान में खुदरा भी लॉकडाउन से पहले की स्थिति में पहुंच चुका है।

इतना ही नहीं, मई में टोल संग्रह में बढ़ोतरी होना, आर्मेंथिक गतिविधि  वृद्धि को दिखाता है। लगातार 3 महीने तक निर्यात में कमी के बाद जून में निर्यात, फिर से बांउस बैक करके, पिछले साल के पूर्व कोविड काल में पहुंच गया है। ये तमाम संकेत हैं, जो हमें प्रोत्साहित कर रहे हैं, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आप में से अधिकतर राज्यों में, Agriculture, Horticulture, Fisheries और MSMEs का हिस्सा बहुत बड़ा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बीते कुछ दिनों से इन तमाम सेक्टर्स के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं।

MSMEs को सपोर्ट करने के लिए अनेक फैसले हाल में लिए गए हैं। समयबद्ध तरीके से MSMEs को बैंक से क्रेडिट दिलाने का प्रयास हो रहा है। 100 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्योगों को 20 परसेंट अतिरिक्त क्रेडिट के Automatic Increase का लाभ दिया गया है।

अगर हम Bankers Committees के माध्यम से ये सुनिश्चित करेंगे कि उद्योगों को तेजी से क्रेडिट मिले तो वो जल्द से जल्द काम शुरु कर पाएंगे, लोगों को रोजगार दे पाएंगे। हमारे यहां जो smaller factories हैं उन्हें guidance की, Hand-Holding की बड़ी जरूरत है। मुझे पता है आपके नेतृत्व में इस दिशा में काफी काम हो रहा है। Trade और Industry अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ सकें, इसके लिए Value Chains पर भी हमें मिलकर काम करना होगा।

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राज्यों में जहां कहीं भी Specific Economic Activity Points हैं, वहां चौबीसों घंटे काम हों, सामानों की Loading-Unloading तेजी से हो, एक शहर से दूसरे शहर तक सामान जाने में स्थानीय स्तर पर किसी तरह की दिक्कत न हो तो Economic Activity और तेजी से बढ़ेगी।किसान के उत्पाद की मार्केटिंग के क्षेत्र में हाल में जो रिफॉर्म्स किए गए हैं, उससे भी किसानों को बहुत लाभ होगा। इससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नए विकल्प उपलब्ध होंगे, उनकी आय बढ़ेगी और खराब मौसम के कारण, स्टोरेज के अभाव के कारण उनको जो नुकसान होता था, उसे भी हम कम कर पाएंगे।

जब किसान की आय बढ़ेगी तो निश्चित रूप से डिमांड भी बढ़ेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था भी गति पकड़ेगी। विशेषतौर पर नॉर्थ ईस्ट और हमारे आदिवासी इलाकों में फार्मिंग और हॉर्टीकल्चर के लिए अनेक अवसर बनने वाले हैं। ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स हों,बांस के उत्पाद हों, दूसरे आदिवासी उत्पाद  हों, उनके लिए नए मार्केट का द्वार खुलने वाला है। लोकल प्रोडक्ट के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड रणनीति की घोषणा की गई है, उसका भी लाभ हर राज्य को होगा।  इसके लिए ज़रूरी है कि हम हर ब्लॉक, हर जिले में ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान करें, जिनकी प्रसंस्करण या मार्केटिंग   करके, एक बेहतर प्रोडक्ट हम देश और दुनिया के बाज़ार में उतार सकते हैं।

बीते दिनों आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जितनी भी घोषणाएं की गई हैं, वो एक निश्चित समयसीमा के भीतर जमीन पर उतरे, इसके लिए हमें एकजुट होकर काम करना है। इस पृष्ठभूमि में, कोरोना से लड़ाई औरआर्थिक गतिविधि से जुड़े आपके जो सुझाव हैं, जो तैयारियां हैं, वो जानने के लिए भी मैं उत्सुक हूं। मेरा गृहमंत्री जी से आग्रह है कि आगे की चर्चा का संचालन करें।